मध्य प्रदेश कांग्रेस में चरम पर गुटबाजी! झाबुआ को छोड़ महाराष्ट्र में प्रचार करने पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्य प्रदेश में अल्पमत वाली कांग्रेस सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की गैरमौजूदगी मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी के चरम पर होने का इशारा कर रही है।
भोपाल: मध्य प्रदेश में अल्पमत वाली कांग्रेस सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की गैरमौजूदगी मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी के चरम पर होने का इशारा कर रही है। प्रचार खत्म होने के 2 दिन पहले तक झाबुआ चुनाव से दूरी बनाकर रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया महाराष्ट्र चुनाव में प्रचार के लिए पहुंचे हैं।
मध्य प्रदेश में झाबुआ विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके कांतिलाल भूरिया इस सीट से चुनावी मैदान में है। लेकिन, इस पूरे चुनाव के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की झाबुआ में गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल, 21 अक्टूबर को होने जा रहे चुनावों के लिए 19 अक्टूबर चुनाव प्रचार की आखिरी तारीख है और बीते 5 दिनों से मध्य प्रदेश में होने के बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया अब तक झाबुआ चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचे। लेकिन, अब चुनाव प्रचार खत्म होने के 2 दिन पहले वह झाबुआ की जगह महाराष्ट्र में प्रचार के लिए निकल गए। जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके एक दर्जन से ज्यादा समर्थक मंत्री राज्य में प्रचार की कमान संभाले हुए हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की अब तक प्रचार से दूरी पर जब दिग्विजय सिंह से सवाल किया गया तो दिग्विजय सिंह उनकी गैरमौजूदगी पर पल्ला झाड़ते नजर आए। उन्होंने कहा कि ‘उन्हें आमंत्रण भेजा गया होगा। क्यों नहीं आए, यह मेरी जानकारी में नहीं है।’ बता दें कि 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पास अभी 114 विधायक हैं। पार्टी को चार निर्दलीय विधायकों समेत 2 बीएसपी और एक समाजवादी पार्टी के विधायक का समर्थन हासिल है।
झाबुआ सीट पर कांग्रेस के लिए जीत अब प्रतिष्ठा का मुद्दा बन चुकी है। ऐसे में झाबुआ उपचुनाव में मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अंदरूनी गुटबाजी पूरे चुनाव के दौरान साफ दिखाई दी। दरअसल, इस उपचुनाव में प्रचार के लिए कांग्रेस ने जिन मंत्रियों और नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए उतारा, उन्हें मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गुट का माना जाता हैं।
पूरे प्रचार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी ब्रिगेड को चुनाव प्रचार से दूर रखा गया। माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जुगलबंदी के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज हो गए हैं और बीते 5 दिनों तक मध्य प्रदेश में रहने के बावजूद झाबुआ में चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी तथा प्रचार के अंतिम 3 दिनों में महाराष्ट्र चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहान के प्रचार के लिए निकल गए।
ऐसे में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरी कांग्रेस पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुरेश पचौरी और अरुण यादव, सबकी अपनी-अपनी कांग्रेस है। पूरी कांग्रेस टुकड़ों में बैठी हुई है, सिंधिया अपने टुकड़े के साथ अकेले हैं।
इस पूरे चुनाव में सबसे अहम जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह के करीबी और झाबुआ के प्रभारी मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल और कमलनाथ खेमे के मंत्री बाला बच्चन को दी गई है। इन्हें आदिवासी समुदाय को साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।