नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी को चुनाव आयोग ने हुगली में चुनाव रैली के दौरान कथित तौर पर सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं से अपील करने के लिए बुधवार को एक नोटिस जारी कर 48 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा है। नोटिस में कहा गया कि चुनाव आयोग को बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल से शिकायत मिली है जिसमें आरोप लगाया है कि तीन अप्रैल को, बनर्जी ने हुगली में ताराकेश्वर की चुनाव रैली के दौरान मुस्लिम मतदाताओं से की कि उनका वोट विभिन्न दलों में न बंटने दें। चुनाव आयोग ने पाया है कि उनका भाषण जन प्रतिनिधित्व कानून और आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए दावा किया कि वोटों का बिखराव न हो इसके लिए मुसलमानों से एकजुट हो जाने की उनकी अपील स्पष्ट करती है कि तृणमूल कांग्रेस विधानसभा चुनाव की जंग हार गई है। प्रधानमंत्री ने कूचबिहार में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यदि उन्होंने इसी प्रकार सभी हिंदुओं को एकजुट हो जाने और भारतीय जनता पार्टी को वोट देने की अपील की होती तो उन्हें निर्वाचन आयोग के 8-10 नोटिस मिल गए होते और देश भर के अखबारों में उनके खिलाफ संपादकीय छप जाते।
ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें लोगों के तिलक लगाने और भगवा वस्त्र पहनने पर भी अब एतराज होने लगा है। उन्होंने कहा कि ऐसी राजनीति कर ममता बनर्जी ने ‘सेल्फ गोल’ कर लिया है और साथ ही यह स्वीकार कर लिया है कि वह चुनाव हार चुकी हैं। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि राज्य में बीजेपी के पक्ष लहर है और पार्टी बंगाल में अगली सरकार बनाएगी।
बीजेपी ने ममता बनर्जी के बयान को लेकर पांच अप्रैल को चुनाव आयोग में शिकायत दी थी। केंद्रीय चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के बयान को आपत्तिजनक बताया है। वहीं, ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों को खारिज करती रही हैं। उन्होंने एक सभा में पांच अप्रैल को कहा, ‘‘कुछ लोग कहते हैं कि मैंने मुस्लिमों का तुष्टिकरण किया है। मैं उन्हें बताना चाहूंगी कि जब से मैं यहां हूं हिंदू और मुस्लिम अच्छे से रह रहे हैं। अगर मैं नहीं होती तो ऐसा नहीं होता।’’
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