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विधानसभा चुनाव 2018: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से भाजपा की विदाई, कांग्रेस ने खोया मिजोरम

पिछले कुछ सालों से तेज रफ्तार से दौड़ता भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ अब थम गया है।

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नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों से तेज रफ्तार से दौड़ता भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ अब थम गया है। 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में जहां भाजपा की करारी हार हुई है, वहीं कांग्रेस की उम्मीदें फिर से जिंदा हो गई हैं। हालांकि तेलंगाना और मिजोरम में कांग्रेस को मायूसी मिली है लेकिन हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में मिली जीत इन राज्यों में मिली हार पर बहुत भारी है। हिंदी पट्टी में भाजपा के खराब प्रदर्शन ने 2019 के लोकसभा चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। कुछ महीने पहले तक माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए का पलड़ा भारी है।

मध्य प्रदेश से शिवराज की विदाई
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच जोरदार टक्कर हुई है। शिवराज सिंह चौहान की विदाई तो तय मानी जा रही है लेकिन 15 साल की एंटी-इनकंबैंसी के बावजूद भाजपा ने आसानी से हथियार नहीं डाले हैं। वहीं, कांग्रेस को उसके नेताओं की एकजुटता का फायदा मिला है और अब सूबे में उसकी सरकार का बनना तय है। आपको बता दें कि कांग्रेस ने 2003 में मध्य प्रदेश की सत्ता गंवाई थी और इसके बाद भाजपा ने अगले 15 साल तक सूबे पर शासन किया।

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राजस्थान में हार गईं ‘रानी’
राजस्थान में चुनावी नतीजों के आने से पहले ही माना जा रहा था कि वसुंधरा राजे की सरकार सूबे से विदा होगी। चुनाव के नतीजे आए तो ऐसा हुआ भी और भाजपा की सूबे में करारी हार हुई। हालांकि कांग्रेस अपने दम पर बहुमत तो नहीं जुटा पाई लेकिन इतना तय हो गया है कि राजस्थान में अगली सरकार कांग्रेस की ही होगी। आपको बता दें कि पिछले कई सालों से वहां हर 5 साल पर शासन करने वाली पार्टी बदल जाती है। भाजपा के लिए राहत की बात सिर्फ यह हो सकती है कि उसे कांग्रेस को अपने दम पर बहुमत हासिल करने नहीं दिया।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने चौंकाया
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की सरकार को कोई खतरा नहीं माना जा रहा था, लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे वहीं से आए। यहां कांग्रेस ने भाजपा को करारी मात देते हुए 90 में से 68 सीटों पर कब्जा किया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी पूरा जोर लगाकर भी सिर्फ 15 सीटें ही जीत पाई। जाहिर सी बात है कि मायावती और अजीत जोगी की पार्टियों के बीच गठबंधन ने भाजपा को कोई फायदा नहीं पहुंचाया। इस बार कांग्रेस को जहां 43 प्रतिशत वोट मिले वहीं भाजपा में सिर्फ 33 प्रतिशत लोगों ने अपना भरोसा दिखाया।

तेलंगाना में KCR का जादू बरकरार
तेलंगाना में कार्यवाहक मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का जादू बरकरार है। केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने सूबे के विधानसभा चुनावों में 119 में से 88 सीटें अपने नाम की हैं। वहीं, कांग्रेस को 19, एआईएमआईएम को 7, भाजपा को 1 और टीडीपी को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली। इसका मतलब साफ है कि तेलंगाना की जनता ने कांग्रेस गठबंधन को पूरी तरह नकार दिया। यहां के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिए भी निराशाजनक हैं क्योंकि उसे यहां कम से कम 7-8 सीटों पर जीत की उम्मीद थी।

मिजोरम से कांग्रेस हुई साफ
कांग्रेस को दूसरा बड़ा झटका मिजोरम में लगा है। यहां पिछले 10 साल से सत्ता में काबिज पार्टी की करारी हार हुई है। मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट ने 40 में से 26, कांग्रेस ने 5, निर्दलियों ने 8 और भाजपा ने एक सीट पर कब्जा जमाया। सूबे में कांग्रेस की पतली हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां उसके मुख्यमंत्री दो सीटों से चुनाव लड़े थे और दोनों ही सीटों से हार गए।