नई दिल्ली: हरियणा का सस्पेंस खत्म हो गया है लेकिन आज का दिन महाराष्ट्र के लिए बेहद खास है। हरियाणा में भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद खुलकर सामने आए हैं। मुंबई स्थित मातोश्री में विधायक दल की बैठक के बाद शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूला रखा है। शिवसेना का कहना है कि 'ढाई-ढाई साल दोनों पार्टियों के CM बनें और इसके लिए हमें लिखित आश्वासन चाहिए, नहीं तो विकल्प खुले हैं।'
शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा कि "शिवसेना ने बीजेपी के सामने बड़ी शर्त रखी है, जो चुनाव से पहले तय हुआ था 50/50 फार्मूला और ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद। ये बीजेपी लिखित में दे उसके बाद ही सरकार गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। नहीं तो शिवसेना के लिए विकल्प खुले हैं।" वहीं, उन्होंने इसके साथ ही यह भी बताया कि "आज विधायक दल का नेता नहीं चुना गया है। सभी अधिकार उद्धव ठाकरे को दिए गए हैं।"
बता दें कि इससे पहले शिवसैनिकों ने जगह-जगह आदित्य ठाकरे के पोस्टर लगा दिए हैं। इन पोस्टरों में आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र का भावी सीएम बताया जा रहा है। महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना को बहुमत मिला है लेकिन मुख्यमंत्री पद और 50-50 का फॉर्मूला, ये दो ऐसे पेंच हैं जिनसे गठबंधन पर सस्पेंस बना हुआ है। महाराष्ट्र के इस सस्पेंस की एक वजह आदित्य ठाकरे हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिवसेना आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।
24 अक्टूबर को नतीजे आने के बाद शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के पद और 50-50 के फॉर्मू्ले पर बीजेपी को जो संकेत दिए थे, उसको शिवसेना के नेताओं ने जमकर हवा दी। नतीजों के बाद आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने वाले पोस्टर भी सामने आ गए। शुक्रवार को मुंबई के वर्ली समेत कई इलाकों में पोस्टर लगाए जिसमें आदित्य ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री और फ्यूचर ऑफ महाराष्ट्र बताया गया।
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद ही सियासी तस्वीर साफ हो चुकी थी कि सूबे में अगले 5 साल तक फिर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। लेकिन, शिवसेना की ओर से आए आज के स्टेटमेंट ने महाराष्ट्र की सियासत में तूफान खड़ा कर दिया है। शिवसेना ने भाजपा को सीधे कहा है कि अगर वह लिखित में 50-50 फॉर्मूले को लेकर आश्वासन नहीं देती है, तो शिवसेना के पास खुले विकल्प हैं। वहीं, NCP लीडर शरद पवार ने शिवसेना के 50-50 के फॉर्मूले का समर्थन किया लेकिन शिवसेना से किसी तरह के गठबंधन को पूरी तरह से खारिज कर दिया था। भी सोचने वाली बात है।