चुनावी मौसम में हर रोज आक्रामक रहने वाले योगी और मायावती के Twitter हैंडल खामोश
चुनावी मौसम में हर रोज आक्रामक रहने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा प्रमुख मायावती के ट्विटर हैण्डल खामोश हो गए हैं। चुनाव आयोग ने दोनों ही नेताओं पर चुनाव प्रचार को लेकर क्रमश: 72 घंटे और 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया है।
लखनऊ: चुनावी मौसम में हर रोज आक्रामक रहने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा प्रमुख मायावती के ट्विटर हैण्डल खामोश हो गए हैं। चुनाव आयोग ने दोनों ही नेताओं पर चुनाव प्रचार को लेकर क्रमश: 72 घंटे और 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया है। चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अली-बजरंगबली भाषण को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए उनके प्रचार अभियान पर 72 घंटे का प्रतिबंध लगा रखा है। मंगलवार सुबह छह बजे से योगी पर लगे प्रतिबंध की शुरुआत हुई है। इस प्रतिबंध की वजह से योगी ना तो रैली कर सकते हैं, ना राजनीतिक बैठक और ना चुनाव से जुड़ी कोई बयानबाजी कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने उन्हें सोशल मीडिया के इस्तेमाल से भी रोक रखा है।
मायावती ने गत सात अप्रैल को सहारनपुर के देवबंद में चुनावी रैली के दौरान खासकर मुस्लिम समुदाय से वोट मांगा, जिसे आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए सोमवार को किसी भी चुनावी गतिविधि में शामिल होने पर 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया। मायावती के ट्विटर हैण्डल पर प्रतिबंध से पहले 14 अप्रैल को रात नौ बजकर आठ मिनट पर अंतिम टिप्पणी है। यह टिप्पणी उन्होंने केन्द्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गांधी पर की है।
मायावती ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गांधी द्वारा वोटरों को धमकाने के बाद अब यूपी के सीएम द्वारा भी सभा के दौरान काले झंडे/बैनर दिखाए जाने पर 'जिन्दगी भर बेरोजगार रह जाने' की खुली धमकी बीजेपी का अहंकार ही नहीं बल्कि इनका घोर जनविरोधी रवैया है, जिसे चुनाव में परास्त करने की जरूरत है।
योगी के ट्विटर पर 15 अप्रैल को रात नौ बजकर 43 मिनट पर टिप्पणी की गई है। इसमें उन्होंने कहा, ''हमारी सरकार ने दो वर्षों में 64 हजार करोड़ से अधिक का गन्ना मूल्य भुगतान कर न केवल किसान भाइयों के जीवन में गुणात्मक सुधार किया है बल्कि 2022 तक उनकी आय दोगुनी करने के आदरणीय प्रधानमंत्री जी के स्वप्न को साकार करने की दिशा में कदम उठाए हैं जिससे उनके जीवन में खुशहाली आई है।''
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चंद्रमोहन ने कहा, ''हम लोग चुनाव आचार संहिता का पालन करने वाले लोग हैं। आयोग के निर्देश का अनुपालन कर रहे हैं।'' भाजपा के ही एक अन्य नेता हरीशचंद्र श्रीवास्तव ने कहा, ''प्रदेश अध्यक्ष (महेन्द्र नाथ पाण्डेय) ने चुनाव आयोग से पुनर्विचार करने को कहा था.... मुख्यमंत्री जी ने भी जो बात कही, किसी धर्म के नाम पर कोई अपील नहीं की।''
बसपा के महासचिव सतीश मिश्रा ने मायावती पर प्रतिबंध को अनुचित एवं असंवैधानिक करार देते हुए कहा, ''उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में अली और बजरंगबली की बात करके लोगों को धर्म के नाम पर बांटने का भरपूर प्रयास किया लेकिन लोगों को गुमराह होने से बचाने के लिए चुनाव आचार संहिता का पूरा ध्यान रखते हुए मायावती को मजबूरी में अपनी एक चुनावी जनसभा में ये बताना पड़ा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दो धर्मों के बीच नफरत पैदा करके इस चुनाव को जीतना चाहते हैं।''
आयोग ने सपा नेता आजम खां और केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी पर भी प्रतिबंध लगाया है। मेनका गांधी के ट्विटर पर आखिरी पोस्ट 15 अप्रैल सुबह चार बजकर 54 मिनट की है, जिसमें उन्होंने कहा है, ''सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र की लम्भुआ विधानसभा के रामगढ़, पतिपुर, प्रतापपुर, सोनावां, नारायणपुर, नरहरपुर आदि जगहों पर सभाएं की और आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में किये गये विकास कार्यों से अवगत कराया। एक बार फिर से नरेंद्र मोदी जी को देश का प्रधानमंत्री बनाने का आह्वान किया।''