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अपराजेय अमेठी में राहुल को हराने का सीक्रेट प्लान, स्मृति के जनसैलाब के पीछे है इनकी तपस्या

2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से अपनी सियासी पारी का आगाज करने वाले राहुल यहां जीत की हैट-ट्रिक लगा चुके हैं। 1967 से लेकर अब तक सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है जब अमेठी में कांग्रेस को शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

अपराजेय अमेठी में राहुल को हराने का सीक्रेट प्लान, स्मृति के जनसैलाब के पीछे है इसकी तपस्या- India TV Hindi अपराजेय अमेठी में राहुल को हराने का सीक्रेट प्लान, स्मृति के जनसैलाब के पीछे है इसकी तपस्या

नई दिल्ली: अमेठी के कुछ अभूतपूर्व दृश्य देश के सियासी पटल पर ऐसी स्मृति छोड़ गए जिसका बड़ा असर 23 मई को दिख सकता है। राहुल गांधी के गढ़ में स्मृति ईरानी ने गुरुवार को नामांकन दाखिल किया लेकिन ख़बर ये नहीं है। ख़बर ये है कि पूरा अमेठी स्मृति ईरानी के रोड शो में भगवा सेना से पट गया जो गांधी परिवार के गढ़ में हड़कंप मचाने वाली थीं। सवाल है कि ये सब हुआ कैसे और उस भगवा सैलाब का नायक कौन है?

लखनऊ से करीब दो सौ किलोमीटर दूर अमेठी वही जगह है जहां नेहरू-गांधी परिवार की सियासी वंश बेल खूब फली-फूली। 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से अपनी सियासी पारी का आगाज करने वाले राहुल यहां जीत की हैट-ट्रिक लगा चुके हैं। 1967 से लेकर अब तक सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है जब अमेठी में कांग्रेस को शिकस्त का सामना करना पड़ा है। सवाल ये है कि 2019 में क्या तीसरी बार ऐसा होने वाला है?

राहुल गांधी के साथ ही स्मृति ईरानी यहां से लगातार प्रचार कर रही हैं। स्मृति ईरानी आत्मविश्वास से भरी हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी के साथ ही आरएसएस भी अमेठी में कांग्रेस के किले पर सियासी सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली है क्योंकि सूरज की पहली किरण के साथ 6 साल के बच्चे से लेकर 60 साल के बुज़ुर्ग तक मैदानों में जमा होने लगते हैं और घंटों तक नमस्ते सदा-वत्सले मंत्र गूंजते हैं। ये सिलसिला बरसों से चल रहा है।

सच तो ये है कि अमेठी में ये तैयारी पांच साल पहले से ही होने लगी थी। 2014 के बाद से ही संघ का फोकस लगातार अमेठी पर रहा है। आरएसएस ने शहरों से लेकर गांवो तक में पैठ बढाई। मौजूदा वक्त में अमेठी सीट पर आरएसएस की तीन सौ से ज्यादा शाखाएं चल रही हैं। अमेठी के 47 मंडलों में संघ की 110 शाखाएं चलती हैं जबकि जगदीशपुर के 51 मंडलों में 90 शाखाएं चलती हैं।

इसके अलावा संघ का पिछले पांच साल से अमेठी के गांव-गांव में पहुंचने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। बता दें कि बीजेपी की ताकत आरएसएस है और ये संगठन कार्यकर्ताओं की फौज से ज्यादा विचारधारा के प्रवाह से चलता है। बीजेपी को मजबूत बनाने के लिए संघ ने उसी विचारधारा को अमेठी की रगों में उतारा है। अमेठी जीतने की हसरत लिए संघ कार्यकर्ता दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। 

इसकी प्लानिंग पांच साल पहले ही हो चुकी थी जब बीजेपी ने अमेठी से स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा था। 2014 में स्मृति ईरानी ने 23 दिन अमेठी में प्रचार किया था और चुनाव में स्मृति को 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। महज 23 दिन के प्रचार में ही 3 लाख से ज्यादा वोट हासिल करने के पीछे स्मृति ईरानी की मेहनत के साथ साथ संघ की कोशिशें भी थीं। 

इस बार ये कोशिश और मेहनत बहुत आगे बढ़ चुकी है। अमेठी में प्रचार के लिए आरएसएस ने पैंपलेट छपवाए है। मोदी सरकार की तमाम नीतियों और कामों का ज़िक्र इन पर्चों में छपा है और इन्हें घर घर तक पहुंचाया जा रहा है। इन पर्चों में किसी नेता या कैंडिडेट का नाम तो नहीं है लेकिन वो सब कुछ है जो अमेठी फतह के लिए बीजेपी की राह प्रशस्त करता है।