अब एक ही 'परिवार' में आ गए सनी देओल और हेमा मालिनी, और परिवार है BJP
अब चूंकि भाजपा में शामिल हो गए हैं और चुनाव भी लड़ रहे हैं तो दूसरे नेताओं की तरह अब गाहे बगाहे अपनी सौतली मां से भी सार्वजनिक मंचों पर रूबरू होना पड़ेगा। तब क्या करेंगे सनी दओल?
नई दिल्ली। फिल्मी दुनिया का फेमस ‘ढाई किलो का हाथ’ यानी सनी देओल भाजपा में शामिल हो गए है लेकिन इसके साथ ही कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या अपनी सौतेली मां हेमा मालिनी के साथ सनी का व्यवहार अब पार्टी के अनुरूप होगा या वही सालों पुरानी कड़वाहट नजर आएगी।
पिता धरमेंद्र के नक्शे कदम पर चलते हुए जहां सनी ने भाजपा का दामन थामा वहीं बातें आरंभ हो गई कि अब सनी औऱ हेमा का सामना होगा तो क्या होगा। अब चूंकि भाजपा में शामिल हो गए हैं और चुनाव भी लड़ रहे हैं तो दूसरे नेताओं की तरह अब गाहे बगाहे अपनी सौतली मां से भी सार्वजनिक मंचों पर रूबरू होना पड़ेगा। तब क्या करेंगे सनी दओल? क्या निजी जिंदगी की कड़वाहट हावी रहेगी या पुरानी बातों को छोड़कर राजनीतिक मंच पर नए रिश्तों की बिसात बिछाई जाएगी।
धरमेंद्र ने जब पत्नी प्रकाश कौर के होते हुए हेमा मालिनी ने दूसरा विवाह किया था तब सनी देओल को सबसे ज्यादा गुस्सा आया था। उन्हें लगने लगा था कि उन्हें और उनकी मां को छोड़कर धरमेंद्र ने हेमा को तरजीह दी है और उनके परिवार को तोड़ने के लिए हेमा ही सबसे बड़ी जिम्मेदार हैं। तब से हेमा औऱ सनी के बीच की तल्खियां बढ़ने लगी और यह धीरे धीरे इतनी बढ़ गई कि सनी हेमा को नुकसान तक पहुंचाने की सोचने लगे थे।
हेमा की दोनों बेटियों के साथ भी सनी ने कभी मेल मिलाप के बारे में नहीं सोचा। हालांकि चचेरे भाई अभय देओल के साथ हेमा औऱ दोनों बेटियों के अच्छे रिश्ते हैं लेकिन सनी ने कभी इनके साथ रिश्तों को सामान्य करने की कोशिश तक नहीं की। ईशा औऱ सुहाना की शादी में सनी और बॉबी ने शिरकत तक नहीं की और यह कहा जा रहा था कि शायद ही कभी सनी देओल हेमा के साथ सामान्य रिश्तों को जी पाएं।
लेकिन अब समय बदल चुका है, सनी ही नहीं हेमा मालिनी के लिए भी जरूरी है कि निजी तल्खियों को राजनीतिक गलियारों में चटखारों का विषय न बनने दिया जाए। सामान्य शिष्टाचार तो कम से कम रखा ही जाए। कुछ भी हो अमित शाह को दाद देनी चाहिए जिन्होंने दो बेहद जुदा शख्सियतों को एक ही पार्टी में लाकर बरसों पुरानी तल्खी को कम करने की कोशिश जरूर की है।
वैसे भी सनी देओल की शर्मीली और साथ सुथरी छवि भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगी। सनी जिस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं वहां से विनोद खन्ना जीते थे। विनोद खन्ना की मौत के बाद भाजपा के सामने इस बात की चुनौती थी कि वैसे ही आकर्षक व्यक्तित्व औऱ दमदार शख्सियत को लाया जाए जो पंजाबी होने के साथ साथ गुरदासपुर की जनता का अजीज बन सके।