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BJP के ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान पर राहुल का तंज- अमीरों के धन की रखवाली करते हैं मोदी

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ के अपने नारे के जवाब में भाजपा की ओर से शुरू किए गए ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया और उन पर ‘अमीरों के धन की रखवाली करने वाला चौकीदार’ होने का आरोप लगाया।

<p>Rahul Gandhi</p>- India TV Hindi Rahul Gandhi

पूर्णिया: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ के अपने नारे के जवाब में भाजपा की ओर से शुरू किए गए ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया और उन पर ‘अमीरों के धन की रखवाली करने वाला चौकीदार’ होने का आरोप लगाया। लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद बिहार के पूर्णिया जिले के रंगभूमि मैदान में रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने भीड़ द्वारा ‘चौकीदार चोर है’ के नारे लगाए जाने के बीच कहा, “लोग अपने घरों के बाहर कैसे चौकीदार नियुक्त करते हैं। क्या आपने किसी चौकीदार को किसी आम आदमी के घर के दरवाजे पर तैनात देखा है?।’’

राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी ने अनिल अंबानी, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य लोगों को ‘‘भाई’’ माना और यही कहकर संबोधित भी किया, जबकि वे आम लोगों को केवल ‘‘मित्र’’ कहकर पुकारते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी पर प्रहार करते हुए कहा, ''उन्होंने सभी गरीबों के खाते में 15 लाख रुपए, पांच साल में दो करोड़ नौकरियां और किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था। क्या उन्होंने कभी आपको बताया कि वह अपने इन वादों को पूरा करने में नाकाम क्यों रहे? क्या उन्होंने किसानों, श्रमिकों और युवाओं के हित के लिए कुछ किया?’’

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी का वादा किया और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपनी सरकार बनने के 15 दिनों के भीतर ऐसा कर दिखाया। राहुल ने यह भी कहा कि अगर बिहार में कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन सत्ता में आया, तो "यह एक न्यूनतम आय रेखा तय करेगा और इस रेखा के नीचे आने वाले लोगों के खाते में स्वतः ही धनराशि जमा हो जाएगी।’’

नोटबंदी का उल्लेख करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यदि इसका घोषित उद्देश्य काले धन का उन्मूलन था तो आम लोगों को इतनी बड़ी कठिनाइयों से गुजरना क्यों पड़ा। उन्होंने पूछा “महिलाओं द्वारा कठिन समय में वर्षों से की गई बचत को नोटबंदी के नाम पर घर से निकालकर बैंकों में जमा करने के लिए विवश क्यों किया गया? अगर यह सरकार अमीरों के 3.5 लाख करोड़ रुपए के कर्ज माफ कर सकती है तो वह किसानों को आवश्यक राहत क्यों नहीं दे सकती है?’’