हार की शंका से हताश होकर ईवीएम पर निशाना साध रहा है विपक्ष: जावड़ेकर
विपक्ष को पराजय का आभास मिल चुका है, ऐसे में हताशा में ईवीएम पर निशाना साधकर वह एक तरह से दिवालियेपन का परिचय दे रहा है।’’
नयी दिल्ली: ईवीएम को लेकर विपक्ष की आशंकाओं और आरोपों को ‘हताशा का परिणाम’ करार देते हुए केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि विपक्ष को चुनाव में हार के लिये ईवीएम पर ठीकरा फोड़ने की बजाए यथार्थ को गरिमापूर्ण ढंग से स्वीकार करना चाहिए।
जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस सहित विपक्ष जब चुनाव जीतता है तब ईवीएम ठीक रहता है लेकिन जब वे हारते हैं तब ईवीएम पर ठीकरा फोड़ते हैं। विपक्ष को पराजय का आभास मिल चुका है, ऐसे में हताशा में ईवीएम पर निशाना साधकर वह एक तरह से दिवालियेपन का परिचय दे रहा है।’’
उन्होंने कहा कि अतीत में अनेक राज्यों में कांग्रेस, टीएमसी सहित विपक्षी दलों ने ईवीएम के तहत जीत दर्ज की लेकिन हार की स्थिति में इन्हीं दलों द्वारा इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन को जिम्मेदार ठहराया जाता है और हेराफेरी के आरोप लगाये जाते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2004 में ईवीएम की शुरूआत हुई। उसके बाद दो बार ईवीएम के तहत ही कांग्रेस नीत संप्रग सरकार बनी। हाल ही में छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। तृणमूल कांग्रेस दो बार पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव जीती। माकपा भी एक बार राज्य में सत्ता में आई। दिल्ली में आप पार्टी की सरकार भी ईवीएम के तहत कराये गए चुनाव में बनी। सपा की 2012 में और बसपा की 2007 में उत्तर प्रदेश में ईवीएम के तहत ही चुनाव के बाद सरकार बनी थी।
जावड़ेकर ने कहा, ‘‘ऐसे में विपक्ष का हारने के बाद ठीकरा ईवीएम पर फोड़ना उचित नहीं है । यह अजीब है । यह विपक्ष का दिवालियापन है। उसे हार का आभास हो गया है।’’ उन्होंने कहा कि भारत के करोड़ों मतदाताओं को शामिल करते हुए चुनाव आयोग एक जबर्दस्त चुनाव कराता है। इसपर दुनिया भर के लोगों की नजर होती है। ऐसे में इस प्रकार के विपक्ष के आरोप अनुचित हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि यह अपने आप में अजीब है कि विपक्षी दल ईवीएम पर आरोप लगाने के लिये तीन बार बैठक कर चुके हैं।