EVM पूरी तरह सुरक्षित, किसी भी तरह मशीन से छेड़छाड़, हेरफेर या उसे हैक नहीं किया जा सकता: चुनाव आयोग
भारत का चुनाव आयोग सशक्त और स्पष्ट रूप से स्पष्ट करना चाहेगा कि इस तरह की सभी रिपोर्ट और आरोप तथ्यात्मक रूप से बिल्कुल गलत हैं।
नई दिल्ली: ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर विपक्ष के आरोपों के बीच दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणबीर सिंह ने कहा कि मशीनें ‘‘पूरी तरह से सुरक्षित’’ है और सभी ‘‘पारदर्शिता तथा प्रशासनिक प्रोटोकॉल्स’’ को पूरा करती है। सिंह ने कहा कि ईवीएम पूरी तरह से मजबूत हैं और किसी भी तरीके से मशीन से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘किसी भी तरीके से मशीन से छेड़छाड़, हेरफेर या हैक नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है। इसमें इंटरनेट, वाई-फाई या ब्लूटूथ संपर्क नहीं है। इसका मतलब है कि आप मशीन में सेंध नहीं लगा सकते। इसमें एक बार काम में आने वाली प्रोग्रामेबल चिप है।’’
आम आदमी पार्टी ने सोमवार को निर्वाचन आयोग से दक्षिण दिल्ली में मतगणना केंद्र पर अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराने की सोमवार को अपील करते हुए आरोप लगाया कि राजनीतिक विरोधियों ने 23 मई को चुनाव नतीजों की घोषणा के मद्देनजर ईवीएम से छेड़छाड़ करने की योजना बनाई है। आप के दक्षिण दिल्ली के उम्मीदवार और पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने पत्र लिखकर कहा कि उनके पास यह मानने की मजबूत वजह है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी स्ट्रांग रूम को खोलने और मशीनों में हेरफेर या उन्हें बदलने का प्रयास करेंगे। पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। सिंह ने बताया कि ये मशीने इलेक्ट्रॉनिक्स कोरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने उच्च सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बनाई है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई प्रोग्राम को बदलने की कोशिश करता है तो मशीन काफी ज्यादा वाइब्रेट करती है और बंद हो जाती है। मशीन के बनने से उसके किसी राज्य में पहुंचने तक इसकी पूरी सुरक्षा की जाती है। राज्य के सुरक्षाकर्मी इसकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं।’’ सिंह ने कहा कि ईवीएम को गोदाम में रखने से लेकर उनके मतदान केंद्रों तक पहुंचने तक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब उन्हें गोदाम में रखा जाता है तो यह उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किया जाता है। उन्हें सुरक्षित, सीलबंद रखा जाता है और सील पर प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मशीन की पहले स्तर की जांच होती है जिसमें वे जांच करते हैं कि मशीन काम कर रही है या नहीं तो यह भी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किया जाता है।’’
मशीनों की सील राजनीतिक दलों की मौजूदगी में तोड़ी जाती है। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, ‘‘जब मशीनें विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में भेजी जाती है तो यह भी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किया जाता है और चुनावों के बाद जब मशीन वापस लायी जाती है तो वह भी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किया जाता है और स्थानीय गतिविधि पर जीपीएस के जरिए नजर रखी जाती है।’’ उन्होंने कहा कि आखिरी क्षण तक वे भी नहीं जानते कि कौन-सी मशीन किस मतदान केंद्र में जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले औचक तरीके से मशीन किसी मतदान केंद्र में भेजी जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे औचक तरीके से चुनाव पर्यवेक्षक और राजनीतिक दल मौजूद रहते हैं और अगर वे शक जताते हैं तो औचक प्रक्रिया 100 बार तक हो सकती है।’’ ईवीएम में तकनीकी खामी आने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आखिरकार वे ‘‘मशीनें’’ ही हैं।