लोग आगामी चुनावों में ‘महामिलावट गठबंधन’ के बजाय स्थायी सरकार चुनेंगे: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को भरोसा जताया कि लोग ‘महा मिलावट गठबंधन’ के बजाय एक स्थायी सरकार को चुनकर आगामी आम चुनावों में सही फैसला करेंगे।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को भरोसा जताया कि लोग ‘महा मिलावट गठबंधन’ के बजाय एक स्थायी सरकार को चुनकर आगामी आम चुनावों में सही फैसला करेंगे। जेटली ने ‘एजेंडा 2019’ पर अपने सातवें ब्लॉग में कहा कि अलग-अलग नेताओं और राजनीतिक दलों की विचारधाराओं वाला महामिलावट गठबंधन केवल राजनीतिक अस्थिरता का वादा कर सकता है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रचार शाखा के प्रमुख जेटली ने कहा, ‘‘इतिहास की बात करे तो भारत और भारतीयों के पास एक विकल्प है। वे छह महीने की सरकार चुन रहे हैं या पांच साल की सरकार? वे आजमाए, परखे हुए और काम करने वाले नेता या गैर नेताओं की अराजक भीड़ के बीच चुनाव कर रहे हैं?’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या भारत ऐसी सरकार की उम्मीद कर रहा है जिसने वृद्धि, विकास और गरीबी उन्मूलन तेज किया या ऐसी सरकार जिसने केवल खुद का भला किया? मुझे विश्वास है कि एक विकासशील समाज के आकांक्षी लोग सही चुनाव करेंगे।’’
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाने के उद्देश्य से बनाया जा रहा महामिलावट गठबंधन ‘‘विनाश का रास्ता है। यह नीचे जाने की दौड़ है।’’ जेटली ने कहा कि राजग सरकार में सबकी पसंद प्रधानमंत्री हैं जबकि कांग्रेस, बसपा, सपा, तृणमूल कांग्रेस और तेदेपा समेत विपक्षी दलों के प्रस्तावित गठबंधन में नेता के मुद्दे पर ‘‘रस्साकशीं’’ है। उन्होंने ब्लॉग में लिखा, ‘‘चार लोगों ने साफ तौर पर प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जताई है- श्री राहुल गांधी, बहन मायावती, ममता दीदी और श्री शरद पवार। हर कोई अपना आधार बढ़ाने की इच्छा रखता है।’’ उन्होंने कहा कि गठबंधन निश्चित तौर पर केवल राजनीतिक अस्थिरता का वादा करता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने चौधरी चरण सिंह, वी पी सिंह, चंद्रशेखर, एच डी देवेगौड़ा और आई के गुजराल की सरकारों का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे गैर विचारधारा वाले गठबंधन केवल कुछ महीने तक ही रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में कौन भारत में निवेश करना चाहेगा? यहां तक कि क्या भारतीय निवेशक बाहर जाने तथा अधिक स्थायी देशों में निवेश करने की तलाश करेंगे? जहां अस्थिरता होती है वहां भ्रष्टाचार होता है।’’
जेटली ने कहा कि भारत में संघवाद भौगोलिक और संवैधानिक दोनों रूप से निहित है। राज्यों को आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहिए। यही भारतीय संघवाद का सार है। उन्होंने कहा कि साथ ही यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि भारत को संघों का राष्ट्र होने के लिए मजबूत संघ होना चाहिए। अगर मजबूत संघ नहीं होगा तो भारत और भारतीय संघवाद दोनों को परेशानी उठानी पड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘पूर्ण स्पष्टता होने दें। भारत राज्यों का संघ है। यह राज्यों का परिसंघ नहीं है। राजग और संप्रग के बीच यही मूलभूत अंतर है। संघीय मोर्चे की अवधारणा में यही मौलिक दोष भी है।’’
जेटली ने कहा, ‘‘मजबूत केंद्रीय दल के बिना कोई ‘संघीय मोर्चा’ नहीं हो सकता।’’ उन्होंने कहा कि दोनों राजग सरकारों में गठबंधन का केंद्र एक बड़ा दल था। उन्होंने कहा कि आज हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जहां भारत दुनिया में दूसरे देशों के मुकाबले तेजी से वृद्धि कर रहा है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इस दिशा में हमारे आंदोलन को तेज करने के लिए अनिवार्य शर्त है कि भारत में राजनीतिक स्पष्टता, स्पष्ट नीति दिशा निर्देशन, मजबूत और निर्णायक नेतृत्व होना चाहिए। अगर हम इनमें से किसी एक में लड़खड़ाते हैं तो हम अपने लोगों और भविष्य की पीढ़ियों को नीचे गिराएंगे। भारत इस स्तर पर अवसरों को गंवा नहीं सकता।’’