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जानें, क्या है चुनाव आचार संहिता के नियम, हर पार्टी को करना होगा इसका पालन

2019 लोक सभा चुनावों की तारिखों का ऐलान होने के बाद आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी जिसका मतलब चुनाव आयोग के वो निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को करना होता है।

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नई दिल्ली: 2019 लोक सभा चुनावों की तारिखों का ऐलान होने के बाद आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी जिसका मतलब चुनाव आयोग के वो निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को करना होता है। चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही वहां चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती हैं। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी सरकारें चुनाव आचार संहिता के दायरे में आती हैं।

जून में मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। चुनावों में सुरक्षाबलों की तैनाती को लेकर सामने आए कुछ फैसले संकेत करते हैं कि जल्द ही चुनाव की तारीखों की घोषणा हो जाएगी। अप्रैल और मई में मतदान हो सकते हैं। अनुमान है कि मई के तीसरे सप्ताह में वोटों की गिनती होगी। बता दें कि 2014 में 7 अप्रैल से 12 मई के बीच नौ चरणों में मतदान हुए थे। 

राजनीतिक सभाओं से जुड़े नियम:

सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए।
सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पहले प्राप्त करें।
दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर लें कि जो स्थान उन्होंने चुना है, वहॉं निषेधाज्ञा तो लागू नहीं है।
सभा के आयोजक विघ्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें।

सत्ताधारी दल के लिए नियम:

कार्यकलापों में शिकायत का मौका न दें।
मंत्री शासकीय दौरों के दौरान चुनाव प्रचार के कार्य न करें।
इस काम में शासकीय मशीनरी तथा कर्मचारियों का इस्तेमाल न करें।
सरकारी विमान और गाड़ियों का प्रयोग दल के हितों को बढ़ावा देने के लिए न हो।
हेलीपेड पर एकाधिकार न जताएं।
विश्रामगृह, डाक-बंगले या सरकारी आवासों पर एकाधिकार नहीं हो।
इन स्थानों का प्रयोग प्रचार कार्यालय के लिए नहीं होगा।
सरकारी धन पर विज्ञापनों के जरिये उपलब्धियां नहीं गिनवाएंगे।
मंत्रियों के शासकीय भ्रमण पर उस स्थिति में गार्ड लगाई जाएगी जब वे सर्किट हाउस में ठहरे हों।
कैबिनेट की बैठक नहीं करेंगे।
स्थानांतरण तथा पदस्थापना के प्रकरण आयोग का पूर्व अनुमोदन जरूरी।

अधिकारियों के लिए नियम:

शासकीय सेवक किसी भी अभ्यर्थी के निर्वाचन, मतदाता या गणना एजेंट नहीं बनेंगे।
मंत्री यदि दौरे के समय निजी आवास पर ठहरते हैं तो अधिकारी बुलाने पर भी वहॉं नहीं जाएंगे।
चुनाव कार्य से जाने वाले मंत्रियों के साथ नहीं जाएंगे।
जिनकी ड्यूटी लगाई गई है, उन्हें छोड़कर सभा या अन्य राजनीतिक आयोजन में शामिल नहीं होंगे।
राजनीतिक दलों को सभा के लिए स्थान देते समय भेदभाव नहीं करेंगे।

सामान्य नियम:

कोई भी दल ऐसा काम न करे, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या घृणा फैले।
राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित हो, न ही व्यक्तिगत।
धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
मत पाने के लिए भ्रष्ट आचरण का उपयोग न करें। जैसे-रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना आदि।
किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, अहाते या भूमि का उपयोग न करें।
किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हों।

जुलूस संबंधी नियम:

जुलूस का समय, शुरू होने का स्थान, मार्ग और समाप्ति का समय तय कर सूचना पुलिस को दें।
जुलूस का इंतजाम ऐसा हो, जिससे यातायात प्रभावित न हो।
राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से जुलूस निकालने का प्रस्ताव हो तो समय को लेकर पहले बात कर लें।
जुलूस सड़क के दायीं ओर से निकाला जाए।
जुलूस में ऐसी चीजों का प्रयोग न करें, जिनका दुरुपयोग उत्तेजना के क्षणों में हो सके।

मतदान के दिन संबंधी नियम:

अधिकृत कार्यकर्ताओं को बिल्ले या पहचान पत्र दें।
मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची सादे कागज पर हो और उसमें प्रतीक चिह्न, अभ्यर्थी या दल का नाम न हो।
मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए।
मतदान केन्द्र के पास लगाए जाने वाले कैम्पों में भीड़ न लगाएं।
कैम्प साधारण होने चाहिए।
मतदान के दिन वाहन चलाने पर उसका परमिट प्राप्त करें।