नई दिल्ली: भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकंतत्र कहा जाता है और यहां चुनाव करवाना अपने आप में ही एक चुनौती है। न केवल व्यवस्था की दृष्टि से बल्कि खर्च की दृष्टि से भी। चुनाव आयोग हर चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा प्रचार में खर्च करने की रकम तय करता है। उसी तय की गई राशि में उम्मीदवारों को चुनाव का सारा खर्च उठाना होता है। उससे ज्यादा खर्च करना गैर-कानूनी है।
देश में हुए पहले चुनावों से अब तक उम्मीदवारों द्वारा खर्च किए जाने वाली राशि को 300 गुना बढ़ाया जा चुकी है। आज देश में लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों को 70 लाख रुपये खर्च करने की अनुमति है। लेकिन, 1951-1952 में देश में हुए पहले लोकसभी चुनावों में ज्यादा से ज्यादा एक उम्मीदवार सिर्फ 25,000 रुपये ही खर्च कर सकता था। ये आंकड़े ऑल इंडिया रेडियो न्यूज द्वारा ट्वीट किए गए हैं।
प्रति उम्मीदवार चुनाव खर्च के लिए कब कितनी रकम तय की गई?
चुनावों का साल | बड़े राज्यों में खर्च की रकम | छोटे राज्यों में खर्च की रकम | नॉर्थ ईस्ट राज्यों में खर्च की रकम |
1951-1952 | 25,000 | 10,000 | - |
1957 | 25,000 | 10,000 | - |
1962 | 25,000 | 10,000 | - |
1967 | 25,000 | 10,000 | - |
1971 | 35,000 | 12,500 | - |
1977 | 35,000 | 17,500 | |
1980 | 1 लाख | 75,000 | 35,000 |
1984-1985 | 1.5 लाख | 1 लाख | 50,000 |
1989 | 1.5 लाख | 1 लाख | 50,000 |
1991-1992 | 1.5 लाख | 1 लाख | 50,000 |
1996 | 4.5 लाख | 4.15 लाख | 50,000 |
1998 | 15 लाख | 13 लाख | - |
1999 | 15 लाख | 13 लाख | - |
2004 | 25 लाख | 17 लाख | - |
2009 | 25 लाख | 17 लाख | - |
2011 (इस वक्त चुनाव नहीं हुए) | 40 लाख | 27 लाख | - |
2014 | 70 लाख | 54 लाख | - |
2019 | 70 लाख | 54 लाख | - |
300 गुना बढ़ी खर्च की रकम
पहले चुनावों से लेकर अगर इन चुनावों तक प्रति उम्मीदवार खर्च करने की रकम की सीमा पर ध्यान दें तो ये रकम 300 गुना बढ़ाई गई है। 1951-1952 में हुए पहले लोकसभा चुनावों में बड़े राज्यों में प्रति उम्मीदवार खर्च करने की सीमा सिर्फ 25,000 रुपये थी, जबकि आज ये सीमा 70 लाख रुपये है। वहीं, 1951-1952 के चुनावों में छोटे प्रदेशों में प्रति उम्मीदवार खर्च की सीमा 10,000 रुपये थी, जो आज 54 लाख रुपये है।