वाशिंगटन: कई पर्यवेक्षक 2019 के लोकसभा चुनाव को भारत के इतिहास में एक अहम मोड़ के रूप में देखते हैं। अमेरिकी कांग्रेस की एक नवीनतम रिपोर्ट में यह बात कही गयी है जिसके अनुसार चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के फिर से अच्छा प्रदर्शन करने से एक दलीय वर्चस्व के युग का सूत्रपात हो सकता है। प्राथमिक रूप से अमेरिकी सांसदों के लिए तैयार इस रिपोर्ट में स्वतंत्र कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने इस चुनाव के संबंध में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के लिए एकमात्र नहीं तो कम से कम प्राथमिक निशाना बन तो गये ही हैं लेकिन उनके लिए कोई भी व्यक्ति चुनौती के रूप में नहीं उभरा है।
सीआरएस रिपोर्ट चेतावनी देती है कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले प्रशासन के बने रहने से उसकी अनुदारवादी नीतियों की अरूचिकर निरंतरता बनी रह सकती है। सीआरएस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इस तरह फिर से अच्छा प्रदर्शन करने से एकदलीय वर्चस्व के युग का सूत्रपात हो सकता है। शायद जो अधिक महत्वपूर्ण बात है, वह यह है कि इस चुनाव में हिंदू राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल के अधिक धर्मनिरपेक्ष सोच वाले दलों का मुकाबला होगा तथा इन दलों में कुछ तो निचली जातियों और अल्पसंख्यक मुसलमानों के हितों पर केंद्रित हैं।’’
सीआरएस अमेरिकी (संसद) कांग्रेस की एक द्विदलीय और स्वतंत्र शोध शाखा है जो सांसदों को सूचनाएं देने भर के लिए घरेलू और वैश्विक मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करती है। ये रिपोर्ट विषय के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की जाती हैं और उसे अमेरिकी कांग्रेस का आधिकारिक दृष्टिकोण नहीं माना जाता है। सीआरएस के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ऐसे परिवार के उत्तराधिकारी हैं जिनसे अतीत में तीन प्रधानमंत्री रह चुके हैं। राहुल गांधी विपक्षी गठबंधन के नेताओं में सबसे ऊंचे प्रोफाइल वाले हैं लेकिन राजग को हटाने के उत्साह में कुछ असामान्य गठबंधन भी हो गये हैं।
28 मार्च की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी में उत्तर प्रदेश के दो प्रभावशाली दल भाजपा को हराने के लिए आपस में सहयोग की खातिर आपसी मतभेद भुलाने पर राजी हुए। अन्य प्रभावशाली क्षेत्रीय दल अपने नफा नुकसान पर काफी सोच विचारकर भावी विपक्षी महागठबंधन की दिशा में बढ़ रहे हैं।
पीटीआई के पास उपलब्ध इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा फिर पांच साल के लिए चुनाव जीतने की आकांक्षा लिये हुए हैं। ऐतिहासिक रूप से प्रभावी लेकिन 2014 के चुनाव में बुरी तरह पराजित हुई कांग्रेस भाजपा नीत राजग को हटाने के लिए हाल के विधानसभा चुनावों में जीत को लेकर आगे बढने और प्रभावशाली विपक्षी दलों के साथ हाथ मिलाने का प्रयास कर रही है।