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प. बंगाल में चुनाव प्रचार पर रोक लगाने पर भड़कीं ममता बनर्जी, कहा- 'EC का नहीं ये मोदी-शाह का है फैसला'

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा 9 संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार पर रोक लगाने के फैसले पर कहा कि यह फैसला चुनाव आयोग का नहीं बल्कि मोदी-शाह का फैसला है।

Mamata Banerjee on campaigning in West Bengal to end tomorrow after EC's unprecedented action- India TV Hindi Mamata Banerjee on campaigning in West Bengal to end tomorrow after EC's unprecedented action

कोलकाता: ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा 9 संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार पर रोक लगाने के फैसले पर कहा कि यह फैसला चुनाव आयोग का नहीं बल्कि मोदी-शाह का फैसला है। उन्होनें कहा कि कल अमित शाह दंगा कराने के मूड में बंगाल आए थे और उनके खिलाफ एक्शन होना चाहिए। इसके अलावा ममता बनर्जी ने अमित शाह पर चुनाव आयोग को धमकी देने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि अमित शाह ने आज सुबह चुनाव आयोग को धमकी दी थी। उन्होनें सवाल उठया कि क्या चुनाव आयोग का ये आदेश अमित शाह की ही धमकी का नतीजा है? उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता बहुत गुस्से में हैं और इस अपमान का जवाब जरूर देगी। ममता बनर्जी ने कहा कि फैसला आज से ही लागू क्यों नही किया गया। क्यों ये फैसला पीएम की कल होने वाली रैली के बाद से लागू किया जाएगा?'

ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर बीजेपी के इशारे पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग में RSS के लोग बैठे हैं और BJP के इशारों पर काम हो रहा है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने बुधवार को चुनाव प्रचार को दो दिन पहले ही रोकने की घोषणा कर दी है। चुनाव आयोग ने गुरुवार की रात 10 बजे से चुनाव प्रचार पर रोक लगाई है।

पश्चिम बंगाल के 9 संसदीय क्षेत्रों- दम दम, बारासात, बसीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, जादवपुर, डायमंड हार्बर, दक्षिण और उत्तरी कोलकाता में चुनाव संपन्न होने तक गुरुवार से चुनाव प्रचार नहीं होगा। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर वीडियो डालने पर भी पाबंदी लगा दी है। 

पश्चिम बंगाल के हालातों का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने राज्य के प्रधान गृह सचिव और कोलकाता पुलिस कमिश्नर को हटा दिया। चुनाव आयोग ने ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा के साथ की गई बर्बरता पर दुख जताते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी पुलिस को आदेश दिया है।

चुनाव आयोग ने कहा कि यह संभवत: पहली बार है जब आयोग ने अनुच्छेद 324 को इस तरीके से लागू किया है। लेकिन, शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव के संचालन को प्रभावित करने वाले कानूनविहीनता और हिंसा के मामलों में इसका आगे भी इस्तेमाल किया जा सकता है।