नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में महागठबंधन से पहले ही किनारे हो चुकी कांग्रेस बिहार में भी सीट बंटवारे के भंवर में फंसी है। कांग्रेस और आरजेडी के बीच 'ऑल इज नॉट वेल' वाले हालात हैं। बिहार में पहला वोट पड़ने में एक महीने से कम का वक्त बचा है लेकिन यहां की 40 लोकसभा सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों की बात तो छोड़िए अभी तक इस बात का फैसला भी नहीं हुआ है कि महागठबंधन के दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। हालात ऐसे हैं कि अल्टीमेटम की भाषा में बातें हो रही हैं।
कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अगर मनमुताबिक सीटें नहीं मिली तो वो सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ सकती है। ऐसे हालात में आज दिल्ली में एक अहम मीटिंग हो रही है जिसमें बिहार में महागठबंधन के दलों के बीच सीटों का बंटवारा तय हो सकता है। कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल आज बिहार में महागठबंधन के नेताओं से मिलेंगे।
अहमद पटेल के साथ तेजस्वी यादव, उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश साहनी की मीटिंग होगी जिसमें बिहार कांग्रेस के नेता और बिहार के कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल भी मौजूद रहेंगे। ये बैठक कांग्रेस मुख्यालय में शाम 4 बजे होगी।
बताया जा रहा है कि आरजेडी पहले 20 सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी जबकि कांग्रेस 15 सीट मांग रही थी लेकिन अब नया फॉर्मूला सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक आरजेडी को 17, कांग्रेस को 13, आरएलएसपी को 3, मुकेश साहनी की पार्टी को 2, जीतन राम मांझी को 1, समाजवादी पार्टी को 1 और 3 सीट लेफ्ट पार्टीज को दी जा सकती है।
आरजेडी को उम्मीद है कि आज या कल सीटों का बंटवारा हो जाएगा लेकिन हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने बैठक से पहले नई शर्त रख दी है। एक से दो सीटें दिए जाने पर मांझी ने कहा कि उन्होंने पार्टी की तीन बैठकों के बाद साफ कर दिया है कि महागठबंधन में शामिल राजद-कांग्रेस के बाद उनका ज्यादा सीटों पर अधिकार है।
अब बिहार में महागठबंधन की सिर-फुटौव्वल को लेकर बीजेपी मजे ले रही है। बिहार की 40 सीटें 2019 की जंग में बेहद अहम हैं। मोदी विरोध के नाम पर पार्टियां एक साथ तो आ गईं लेकिन सबकी अपनी सियासी हसरतें हैं जो अब महागठबंधन पर भारी पड़ सकता है।