जानें, क्या ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर BJP को मिल पाएंगे मुस्लिम महिलाओं के वोट?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ‘तीन-तलाक’ का मुद्दा रूढ़ीवादी मुसलमान परिवारों के पुरुष और महिलाओं को बांटता नजर आ रहा है...जहां कई इस प्रथा को अपराधिक श्रेणी में डालने के हक में हैं लेकिन पति के प्रति वफादारी के चलते वे भाजपा को मत देने से परहेज कर रही हैं।
मुजफ्फरनगर/मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ‘तीन-तलाक’ का मुद्दा रूढ़ीवादी मुसलमान परिवारों के पुरुष और महिलाओं को बांटता नजर आ रहा है...जहां कई इस प्रथा को अपराधिक श्रेणी में डालने के हक में हैं लेकिन पति के प्रति वफादारी के चलते वे भाजपा को मत देने से परहेज कर रही हैं। ‘तीन-तलाक’ को ‘तलाक-ए-बिद्दत’ भी कहा जाता है। इसके तहत मुस्लिम पुरुष तीन बार ‘तलाक’ बोलकर कर महिला को तुरंत तलाक दे सकता है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होगा, जहां अधिकतर पुरुषों का मानना है कि सरकार को उनके धार्मिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। मुजफ्फरनगर की रहने वाली एक गृहिणी कैसर जहां ने एक महिला की दुविधा को बयां किया.. जिसमें वह आत्म-विश्वास और परंपरा, जो अपने पति की बात मानने के लिए कहती है...के बीच फंसी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘तीन तलाक एक अत्याचार है जिसे निश्चित तौर पर अपराधिक श्रेणी में डालना चाहिए। मुझे अच्छा लगा कि भाजपा ने हमारे बारे में सोचा। ’’ साथ ही उन्होंने कहा कि वह भाजपा के लिए वोट नहीं देंगी क्योंकि उनके पति नहीं चाहते की वह जीते।
कैसर ने कहा, ‘‘मैं वहीं वोट दूंगी जहां मेरे पति कहेंगे। वह नहीं चाहते की भाजपा जीते इसलिए मैं उसे वोट नहीं दूंगी।’’ कैसर को वहां से ले जाने के लिए आए उनके पति असलम ने कहा, ‘‘हमारे धर्म में दखल ना दें। राजनीति को इससे बाहर रखें।’’ कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ और बागपत में भी यही हालात हैं। सहारनपुर, बिजनौर, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर के साथ यहां भी पहले चरण में मतदान होगा। कैराना की राबिया (35) ने कहा, ‘‘तीन तलाक एक गलत प्रथा है लेकिन हम भाजपा को वोट नहीं देंगे। हम अखिलेश जी (सपा के प्रमुख अखिलेश यादव) द्वारा उतारे गए किसी भी उम्मीदवार को वोट देंगे...जैसा मेरे पति ने कहा है।’’
उत्तर प्रदेश की भाजपा इकाई के उपाध्यक्ष ने कहा कि करीब 1.5 करोड़ मतदाताओं में लगभग 35 प्रतिशत मुस्लमान हैं जो पहले चरण में मतदान करेंगे। क्षेत्र की अधिकतर महिलाओं ने ‘तीन-तलाक’ को चर्चा में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि यह महिला सशक्तिकरण की ओर एक कदम है। मुजफ्फरनगर की निवासी फरजाना ने कहा, ‘‘मेरे पति ने मुझे तलाक देकर दूसरी महिला से शादी कर ली। मेरे पास इस फैसले को स्वीकार करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। मैं अब अपने चार वर्षीय बच्चे के साथ रहती हूं। ‘तीन-तलाक’ एक घिनौनी प्रथा है। क्या हम मुस्लिम महिलाओं के कोई अधिकार नहीं है?’’
उसकी नाराजगी गूंज पास के छोटे शहर कैराना में भी गूंजी। सबा को भी उसके पति ने ‘तीन-तलाक’ के जरिए छोड़ दिया और अब वह अपने माता-पिता के साथ रहती है। अधिकतर महिलाओं ने जहां ‘तीन-तलाक’ को अपराध की श्रेणी में डालने का समर्थन किया लेकिन कई ऐसी महिलाएं भी हैं जिनका मानना कि ‘अल्लाह’ सब ठीक कर देगा और सरकार इसके रास्ते में आने की कोशिश कर रही है।
बागपत की फैजा की एक वर्ष पहले शादी हुई है। उसका मानना है कि ‘तीन-तलाक’ एक निजी मामला है जिसमें किसी भी राजनीतिक दल को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2017 में दिए एक ऐतिहासिक फैसले में कुरान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ होने तथा शरीयत का उल्लंघन करने सहित कई आधारों पर 1400 साल पुरानी इस प्रथा को बंद कर दिया था।
सरकार ने सितंबर 2018 में ‘तीन-तालक’ अध्यादेश जारी कर, इसे मुस्लिम पुरुषों के लिए दंडनीय अपराध बना दिया। अधिकतर मुस्लिम पुरुषों ने भाजपा पर समाज का ध्रुवीकरण करने और इस्लाम में दखलअंदाजी करने का आरोप लगाया है। कई पुरुषों ने कहा कि अगर सरकार मुस्लमानों के लिए कुछ करना ही चाहती हैं तो उन्हें हिंसा नहीं भड़काना चाहिए। भाजपा ने यहां 2014 में सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। कैराना में उपचुनाव के बाद वह सीट रालोद के खाते में चली गई थी।