कृष्णागंज: पश्चिम बंगाल की राणाघाट लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार और पार्टी के पूर्व विधायक दिवंगत सत्यजीत बिस्वास की पत्नी रुपाली बिस्वास अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही हैं। जातीय समीकरणों के लिहाज से भी उन्हें इस सीट पर एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। 17वीं लोकसभा के लिए हो रहे इन चुनावों में रूपाली संभवत: सबसे कम उम्र की उम्मीवार हैं। पांच अप्रैल को जब उन्होंने नामांकन दाखिल किया था तब उनकी आयु 25 वर्ष आठ दिन थी। रूपाली मतुआस समुदाय से आती हैं। राणाघाट लोकसभा सीट पर इस समुदाय के लोगों की संख्या 55 प्रतिशत है।
रुपाली ने कहा, "मेरे लिए राजनीति नई नहीं है। मैं राजनीति को देखते हुए बड़ी हुई हूं और मेरे पति एक मशहूर नेता रहे हैं, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पूरी तरह से राजनीति में आऊंगी। मैं कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दीदी (ममता बनर्जी) मुझे इस बड़ी जिम्मेदारी के लिए सही पाएंगी।"
राणाघाट लोकसभा सीट के तहत नादिया के विधानसभा क्षेत्र से दो बार तृणमूल कांग्रेस के विधायक रहे सत्यजीत की 10 फरवरी को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। भाजपा ने इस सीट पर रूपाली के खिलाफ जगन्नाथ सरकार को उतारा है, वहीं कांग्रेस ने मिनाती बिस्वास और माकपा ने रामा बिस्वास को टिकट दिया है।
तृणमूल कांग्रेस के नादिया जिले के अध्यक्ष गौरीशंकर दत्ता को रूपाली की जीत का भरोसा है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर भाजपा की बढ़त को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "यहां मोदी लहर या ऐसा कुछ भी नहीं है। मैंने अपने जीवन में ऐसी बहुत सी लहरें देखी हैं। कोई भी ममता बनर्जी के विकास के सामने नहीं टिकता। रूपाली की जीत निश्चित है और हमें इसका भरोसा है।"
शांतिपुर, हंशाली, नवाबद्वीप के स्थानीय निवासियों को रूपाली की जीत का भरोसा है। कृष्णागंज के एक स्थानीय निवासी सत्यब्रत करमाकर ने कहा, "उन्होंने (रूपाली) बहुत कुछ सहा है। वह लड़ रही हैं और हम उनके साथ हैं। वह छोटी बच्ची जैसी हैं और हमने उन्हें बड़ा होते देखा है। मैं उनका दर्द समझ सकता हूं। वह निश्चित रूप से जीत रही हैं। उनके साथ बड़ी संख्या में लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं। हम मतुआ समुदाय के लोग चाहते हैं कि वह जीतें।"
राणाघाट संसदीय सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होना है।