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अमेठी के मतदाताओं की आवाज, 'राहुल बेटे का समर्थन करेंगे'

लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से मैदान में उतरने के राहुल गांधी के फैसले से बेफिक्र अमेठी के मतदाताओं का कहना है कि वे अपने 'वीआईपी क्षेत्र' से 'बेटे' का समर्थन करेंगे।

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अमेठी: लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से मैदान में उतरने के राहुल गांधी के फैसले से बेफिक्र अमेठी के मतदाताओं का कहना है कि वे अपने 'वीआईपी क्षेत्र' से 'बेटे' का समर्थन करेंगे। अमेठी में मतदान 6 मई को होना है।

कांग्रेस ने रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष के दो लोकसभा सीटों अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले की घोषणा की। राहुल 2004 से लगातार अमेठी का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। इस बार भी उन्हें भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्मृति ईरानी से कड़ी टक्कर मिल रही है। वर्ष 2014 में ईरानी के खिलाफ उनकी जीत का अंतर मात्र एक लाख से ज्यादा मत ही रहा था। स्मृति ईरानी 'मोदी लहर' के बावजूद राहुल से हार गई थीं।

राहुल के दो सीटों पर लड़ने के फैसले का क्या अमेठी के मतदाता समर्थन करेंगे? इस सवाल पर कांग्रेस जिला प्रमुख योगेंद्र मिश्रा ने कहा, "राहुल के दो सीटों से लड़ने के फैसले के बावजूद उन्हें अमेठी में पांच लाख से कम वोट नहीं मिलेंगे। यहां हर कोई राहुल गांधी को अपने परिवार का हिस्सा समझता है। इसलिए मतदाता बाहरी स्मृति ईरानी के बजाय अमेठी के बेटे का समर्थन करेंगे।"

कांग्रेस के दावे को मजबूत समर्थन मिलता भी दिखाई दिया। गौरीगंज जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर दर्दा गांव के एक निवासी राम मिश्रा ने कहा, "आप जो भी यहां काम देख रहे हैं, वह सबकुछ कांग्रेस की ही देन है।" अमेठी से विधान परिषद के कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह ने कहा, "केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने की पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग को स्वीकारना राहुल गांधी द्वारा लिया गया फैसला स्वागत योग्य है।"

उन्होंने कहा, "अब चुनाव राहुल और भाजपा के बीच नहीं रह गया है। अब चुनाव अमेठी और वायनाड के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच है कि कौन उनके लिए ज्यादा वोट सुनिश्चित करेगा।" राहुल ने कहा, "इंदिरा जी के कार्यकाल के दौरान इलाके में नहरों का निर्माण किया गया था। उन्होंने पूरे जिले का दौरा किया, ताकि सुनिश्ति कर सकें की कोई किसान भूखा न सोए।"

कोरवा गांव के एक निवासी महेंद्र नाथ दुबे ने कहा, "राजीव गांधी द्वारा गांवों को सड़कों के साथ जोड़ा गया था।" उन्होंने कहा कि तीन साल पहले सड़कें गड्ढों से भरी हुई थीं, लेकिन राहुल गांधी ने उनकी मरम्मत कराई। बरौलिया गांव के अल्मीन खान ने कहा, "हमारे गांव को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) फैक्ट्री से अपनी पहचान मिली। उसे यहां कौन लाया? कांग्रेस और राजीव गांधी का दष्टिकोण।"

सामाजिक कार्यकर्ता सैयद इकबाल हैदर ने कहा, "कांग्रेस ने अमेठी को बहुत कुछ दिया है, जिसमें स्कूल, कॉलेज, उर्वरक कारखाना, आयुध कारखाना, रेल नीर संयंत्र, सेल संयंत्र और कई अन्य सरकारी परियोजनाएं शामिल हैं।" हैदर ने कहा, "2014 में स्मृति ईरानी ने वीआईपी बनाम आम नागरिक का मुद्दा उठाया था। लेकिन मंत्री बनने के बाद उन्होंने खुद हमारे साथ वीआईपी की तरह बर्ताव करना शुरू कर दिया।" मुसाफिरखाना इलाके के एक निवासी शिव कुमार पांडे ने कहा कि ईरानी ने कई लोगों से हैंडपंप मुहैया कराने का वादा किया था, लेकिन वह अपने वादे को पूरा नहीं कर सकीं।

हालांकि, यहां कुछ ईरानी समर्थक भी हैं। पिपरौला ठाकुर गांव के श्याम मौर्य ने कहा कि वह इस चुनाव में भाजपा का समर्थन करेंगे, क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार के अंतर्गत बहुत विकास हुआ है। उन्होंने कहा, "भाजपा ने हमारे गांव में सामान्य सेवा कियोस्क लगाया, जिसके कारण मुझे 5 किलोमीटर दूर बैंक नहीं जाना पड़ता।" एक अन्य निवासी ने कहा कि ईरानी के प्रयासों के कारण पिपरौला ठाकुर एक डिजिटल गांव बन गया है। श्याम सिंह ने कहा, "अब मेरा पोता और पोती मोबाइल फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल करना जानते हैं।"

अमेठी 1980 से कांग्रेस का गढ़ रहा है। पहले संजय गांधी इस सीट का प्रतिनिधित्व करते थे, लेकिन 1981 में एक विमान हादसे में उनके निधन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1991 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। संजय, इंदिरा के छोटे बेटे थे। कांग्रेस के सतीश शर्मा ने 1996 तक अमेठी का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन 1998 में वह भाजपा के संजय सिंह के हाथों हार गए। हालांकि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 1999 में यह सीट फिर से जीत ली।