नई दिल्ली: 11 साल पहले जिस बटला हाउस कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। जिस बटला हाउस एनकाउंटर के बाद मुसलमान एक धुरी पर खड़े हो गए, वो बटला हाउस जो मुसलमानों के सियासी फैसले का बड़ा मरकज बन गया। क्या वहां के मुसलमान पुराने जख्मों को भूल गए या फिर इस बार बटला हाउस का मुसलमान कोई नई सियासी इबारत लिखेगा? एक दशक बाद भी बटला हाउस की घटना यहां के मुसलमानों के लिए एक सवाल बनकर रह गई है। दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर चुनाव मंच पर जब भी बटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र होता है तो यहां के मुसलमान अपनी कौम के लिए इसे एक तोहमत मानते हैं।
बटला हाउस के रहने वाले सैफी अहमद कहते हैं, “जब भी यहां के एक खास मकान का जिक्र आता है तो ये बातें परेशान करती हैं। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। जैसे मोदी जी बोलते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए। इस इलाके को जानबूझकर बदनाम किया जाता है। महेश गिरी ने कोई काम नहीं किया और इस इलाके को साथ-साथ हमें भी दरकिनार किया गया। जो हमारी कौम का, हमारे इलाके का विकास करेगा उसी को वोट देंगे।“
जामिया नगर में 70 फीसदी से भी ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। यहां के मुसलमान बीजेपी पर ध्रुवीकरण और हिंदू-मुसलमानों को बांटने के आरोप लगा रहे हैं लेकिन यहां के मुसलमानों का वोट भी क्या आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच बंट रहा है? 1991 के बाद से ही पूर्वी दिल्ली सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है। पूर्वी दिल्ली लोकसभा में 10 विधानसभा सीटें हैं।
जामिया नगर का इलाका ओखला विधानसभा में आता है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां के मुसलमानों ने आम आदमी पार्टी पर भरोसा जताया था लेकिन लोकसभा चुनाव में केजरीवाल के लिए यहां के मुसलमानों का मन और मत दोनों बंटा हुआ है।
जामिया नगर में कहीं मुसलमानों की नजर में राहुल गांधी की पार्टी सबसे ऊपर है तो कोई केजरीवाल के खेमे में है। कुछ मुस्लिम वोटर दोनों से खफा हैं। ओखला का जामिया नगर देशभर के मुसलमानों के लिए एक राजधानी की तरह है यहां जमात-ए-इस्लामी का दफ्तर है तो मुस्लिम पर्सनस लॉ बोर्ड और फिकाह एकेडमी जैसे दर्जनों संगठनों के दफ्तर भी हैं जो मुसलमानों की नुमाइंदगी करते हैं।
यहां के मुससमान वोट के सवाल पर बंटा हुआ दिखा। वो आतिशी और लबली के नाम पर उलझन में है। वक्त बताएगा कि मुसलमानों का वोट किसके खाते में गया लेकिन बटला हाउस के जख्म को बार बार कुरेदे जाने से वो नाराज़ दिखे और कहते हैं कि हर ख्वाब शिकस्ता है तामीर-ए-नशेमन का और हर सुबह के माथे पर बाजार की गर्मी है।