नरेंद्र मोदी को 300 सीटों की भविष्यवाणी का राज़ क्या है? सीक्रेट हुआ डिकोड
जो सवाल हर आदमी के दिमाग में कौंध रहा है, वो भविष्यवाणियों के उसी तंत्र से निकला है, जिसमें नरेंद्र मोदी के लिए वोटरों के बीच स्वाभाविक अंडर करंट बताई जा रही है। करोड़ों देशवासियों की जिज्ञासा को शांत करने वाला जवाब एक्जिट पोल के बारीक विश्लेषण में है।
नई दिल्ली: जब से एग्जिट पोल आए हैं, एक ही सवाल सबके दिमाग में घूम रहा है कि क्या सचमुच नरेंद्र मोदी 300 सीटें जीतने जा रहे हैं? अगर जीत रहे हैं तो कैसे? एग्ज़िट पोल में मोदी के वोटों का जो सीक्रेट कैद है, उसकी रीसर्च के बाद ये पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि अगर यही समीकरण बने तो मोदी 300 तो छोड़िए 400 सीटों के पास भी पहुंच सकते हैं। समय की मुट्ठी में सियासत की संभावनाओं का जो बेहिसाब सस्पेंस कैद है, वो धीरे-धीरे अब खुलने ही वाला है।
जो सवाल हर आदमी के दिमाग में कौंध रहा है, वो भविष्यवाणियों के उसी तंत्र से निकला है, जिसमें नरेंद्र मोदी के लिए वोटरों के बीच स्वाभाविक अंडर करंट बताई जा रही है। करोड़ों देशवासियों की जिज्ञासा को शांत करने वाला जवाब एक्जिट पोल के बारीक विश्लेषण में है। पहले बात करते हैं उत्तर प्रदेश की। यूपी में बीजेपी को नुकसान तो है, लेकिन बीजेपी से बड़ी चोट माया-अखिलेश को लग सकती है।
एक्जिट पोल बता रहा है कि यूपी में 2014 के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा है, जबकि समाजवादी पार्टी और बीएसपी का वोट शेयर घटा है। यूपी की सियासी बिसात का आलम कुछ ऐसा है कि वोट तो वोटर देता है मगर जीत-हार के खेल की चाबी धर्म और जाति की मुट्ठी में है। एक दर्जन सीटें हैं यूपी में जहां मुस्लिम वोटर 30 फीसदी से ज्यादा है। इन्हीं वोटों की लड़ाई बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस और यूपी के क्षेत्रीय क्षत्रपों के बीच होती रही लेकिन मुसलमानों के बीच कंफ्यूज़न और उनके बंटवारे का बड़ा फायदा बीजेपी को हो सकता है।
एक्जिट पोल से इतना तो साफ है कि यूपी में मुसलमान वोटों का बंटवारा हो गया। 2014 में कांग्रस को 11 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे लेकिन इस बार 27 फीसदी मिलने का अनुमान है। वहीं 2014 में समाजवादी पार्टी को 58 जबकि बीएसपी को 18 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे, जिसे जोड़ें तो 76 फीसदी होते हैं। इंडिया टीवी-एक्जिट पोल के मुताबिक इस बार महागठबंधन को 60 फीसदी मुस्लिम वोट मिल सकते हैं। साफ है कि कांग्रेस ने इस बार माया-अखिलेश के मुस्लिम वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई है।
दूसरी ओर एक्जिट पोल से साफ है कि बीजेपी का पारंपरिक सवर्ण वोटर न सिर्फ इन्टैक्ट दिख रहा है बल्कि इस बार जमकर वोट भी दिया। 2014 में बीजपी को 72 फीसदी ब्राह्मणों ने वोट दिया था। इस बार ये आंकड़ा 81 परसेंट हो सकता है। 2014 में 77 फीसदी ठाकुर वोट बीजेपी को मिले, इस बार 88 फीसदी मिल सकते हैं। 2014 में 71 फीसदी वैश्य वोट मोदी को मिले, इस बार 90 फीसदी वैश्य वोट बीजेपी को मिल सकते हैं।
एक्जिट पोल के मुताबिक यूपी में इस बार जातियों को जोड़ने की बीजेपी की रणनीति सटीक रही। बीजेपी ने अपने पारंपरिक वोट बैंक पर तो कब्जा बनाए रखा ही, उस वोट बैंक में भी सेंध लगाने में भी कामयाब रही, जिसे विरोधी अपनी जागीर समझते रहे। बीजेपी को 12 फीसदी जाटव वोट मिले, जबकि महागठबंधन को 60 फीसदी जाटवों का वोट मिला लेकिन बीजेपी को 47 फीसदी गैर जाटव दलितों के वोट मिले जो महागठबंधन से ज्यादा हैं। यानी अगर नतीजे मोदी की आंधी जैसे आए तो समझ लीजिए कि यूपी में जातियों के नाम पर स्वविकास की सियासत का अंत होने वाला है।
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