चुनाव आयोग 7-8 चरणों में करा सकता है लोकसभा चुनाव, जल्द हो सकता है तारीखों का ऐलान
जून में मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। चुनावों में सुरक्षाबलों की तैनाती को लेकर सामने आए कुछ फैसले संकेत करते हैं कि जल्द ही चुनाव की तारीखों की घोषणा हो जाएगी।
नयी दिल्ली: चुनाव आयोग आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आने वाले कुछ ही दिनों में कर सकता है जो अप्रैल-मई में सात-आठ चरणों में संपन्न हो सकते हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग 17वीं लोकसभा के चुनाव कराने के लिए साजो-सामान की तैयारियां पूरी करने के अंतिम चरण में है। चुनाव के विस्तृत कार्यक्रम की घोषणा आज या अगले सप्ताह की शुरूआत तक हो सकती है। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल तीन जून को समाप्त हो रहा है।
चुनाव आयोग ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि 2014 के मुकाबले में यदि कोई बदलाव वांछित है। इसमें संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान के समय, घंटों में आवश्यक तब्दीली यदि जरूरी है तो उसके लिए आयोग को सूचित कर सकते हैं। आयोग पिछले दो सप्ताह से चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए राज्यों के कई चरणों में दौरे कर तैयारियों का जायजा ले चुका है। पूरे देश में लोकसभा चुनावों को लेकर आयोग पहले से ही पूरे जोश में है।
चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद अगले सप्ताह पहले और दूसरे चरण के मतदान के लिए चुनाव पर्यवेक्षकों की बैठक होगी। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि आयोग किसी भी दिन तारीखों की घोषणा करने के लिए तैयार है और यह ऐलान इस सप्ताहांत तक या ज्यादा से ज्यादा मंगलवार तक हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार पहले चरण के मतदान के लिए अधिसूचना मार्च के आखिर तक जारी हो सकती है और इसके लिए मतदान अप्रैल के पहले सप्ताह में होने की संभावना है। पूरी संभावना है कि आयोग पुरानी परंपरा की तरह आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ करा सकता है।
जून में मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। चुनावों में सुरक्षाबलों की तैनाती को लेकर सामने आए कुछ फैसले संकेत करते हैं कि जल्द ही चुनाव की तारीखों की घोषणा हो जाएगी। अप्रैल और मई में मतदान हो सकते हैं। अनुमान है कि मई के तीसरे सप्ताह में वोटों की गिनती होगी। बता दें कि 2014 में 7 अप्रैल से 12 मई के बीच नौ चरणों में मतदान हुए थे।
जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग हो चुकी है, इसलिए आयोग मई में समाप्त हो रही छह महीने की अवधि के अंदर यहां भी नये सिरे से चुनाव कराने के लिए बाध्य है। एक राय है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होंगे, लेकिन भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ने के कारण राज्य के जटिल सुरक्षा हालात को मद्देनजर रखते हुए ही फैसला किया जाएगा।