मोदी बनाम प्रियंका नहीं होने से घटी लोकसभा चुनाव की चमक, कांग्रेस ने गंवाया मौका
वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रियंका गांधी को नहीं उतारकर कांग्रेस ने इस बार के लोकसभा चुनाव में बड़ा मौका गंवा दिया है।
वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रियंका गांधी को नहीं उतारकर कांग्रेस ने इस बार के लोकसभा चुनाव में बड़ा मौका गंवा दिया है। मेरा ऐसा मानना है कि दोनो बड़े नेताओं के बीच अगर सीधी टक्कर होती तो देश की जनता वाराणसी सीट के चुनाव को देखना पसंद करती। अगर प्रियंका गांधी को चुनाव नहीं लड़ना था तो कांग्रेस पार्टी को उन्हें सक्रिय राजनीति में उतारने की जरूरत भी नहीं थी। प्रियंका को नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं उतारने के ताजा फैसले पर यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने अंतिम तरुप के इक्के को बेकार कर दिया है, या तो पार्टी में आत्मविश्वास की कमी है या फिर पार्टी को लगा होगा कि प्रियंका वहां से जीत नहीं सकेंगी। यह लड़ाई में उतरने से पहले ही हथियार डालने जैसा है।
प्रियंका ने जब सक्रिय राजनीति में एंट्री ली थी तो देश की जनता उनकी तुलना उनकी दादी इंदिरा गांधी से कर रही थी और प्रियंका को कांग्रेस पार्टी का तारणहार समझा जा रहा था। माना जा रहा था कि प्रियंका गांधी कांग्रेस पार्टी को फिर से पटरी पर लेकर आ जाएंगी, लेकिन यह सारी उम्मीदें अब खत्म होती नजर आ रही हैं। प्रियंका अपने भाई राहुल गांधी से आगे नहीं रहना चाहतीं और शायद यही वजह है कि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।
मेरा ऐसा मानना है कि अगर प्रियंका चुनाव लड़तीं तो यह पार्टी के लिए अच्छा होता, कम से कम जीतने की उम्मीद तो होती जिससे राहुल गांधी भी और मजबूत होते। अब पार्टी को इस मौके के लिए और 5 साल का इंतजार करना होगा जो पार्टी और उसके नेतृत्व के लिए घातक हो सकता है। इस फैसले से साफ दिख रहा है कि न सिर्फ राहुल गांधी और प्रियंका बल्की पूरी कांग्रेस पार्टी बैकफुट पर आ गई है। संदेश जा रहा है कि कांग्रेस को पता चल चुका है कि वह नहीं जीतने जा रहे और लड़ने के भई लायक नहीं हैं।
अजय राय को टिकट देने का संदेश साफ है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव नहीं लड़ना चाहती। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ ऐसा उम्मीदवार चुना है जिसे पीएम मोदी पिछले चुनाव में 5 लाख से ज्यादा वोटों से हरा चुके हैं। देश की जनता जिस प्रियंका बनाम मोदी के मुकाबले का इंतजार कर रही थी वह मुकाबला अब नहीं होने जा रहा। कांग्रेस के लिए इसके आगे अब क्या बचा है? क्या गांधी परिवार की इस पार्टी का और खराब हश्र होगा? आप ही अंदाजा लगाइए और तबतक देखते हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है।