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रोहतक की ग्राउंड रिपोर्टः क्या हरियाणा के 'जाटलैंड' में बीजेपी खोल पाएगी खाता?

रोहतक में 6 लाख 70 हजार जाट हैं, इसके अलावा 3 लाख अनुसूचित जाति, 1 लाख 75 हजार अहीर, 1 लाख 20 हजार पंजाबी और 1 लाख 35 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। जाटों की दबदबे वाली सीट पर ज्यादातर जाटों का ही कब्जा रहा है

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नई दिल्ली: हरियाणा के जाटलैंड के नाम से मशहूर रोहतक में इस बार कांटे की टक्कर है। रोहतक सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इस बार रोहतक की लड़ाई जाट और गैर-जाट की है और इस लड़ाई में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा जीत के लिए चौथी बार मैदान में उतरे हैं। दीपेंद्र हुड्डा ने कांग्रेस के सबसे बड़े गढ़ को बचाने के लिए जोर लगा दिया है, यहां तक प्रियंका गांधी ने भी यहां रोड शो कर दिया है।

अपनी इस परंपरागत सीट को बचाने के लिए दीपेंद्र हुड्डा एड़ी चोटी का दम लगा रहे हैं और 12 से 15 घंटे प्रचार में जुटे हैं। जाटलैंड की सबसे खास सीट रोहतक में कांग्रेस का दबदबा रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बाद ये सीट उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा के नाम रही। दीपेंद्र सबसे पहले 2009 में जीते। 2014 में मोदी लहर के बाद भी दीपेंद्र हुड्डा रोहतक की सीट जीतने में कामयाब हुए। 

रोहतक में इस बार लोकसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा नरेंद्र मोदी बनाम दीपेंद्र हुड्डा बन गया है। यहां इस बार दीपेंद्र हुड्डा का मुकाबला बीजेपी के पूर्व सांसद अरविंद शर्मा से है। जननायक जनता पार्टी-आप गठबंधन ने छात्र नेता प्रदीप देशवाल और INLD ने धर्मवीर फौजी को प्रत्याशी बनाया है। 

रोहतक लोकसभा क्षेत्र से हुड्डा परिवार की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। इस लोकसभा क्षेत्र को हुड्डा का गढ़ माना जाता है जहां से हुड्डा परिवार के सदस्य 9 बार सांसद बने हैं इसलिए इस क्षेत्र को एक बार फिर जीतने के लिए हुड्डा परिवार ने पूरा जोर लगा रखा है। खुद प्रियंका गांधी दीपेंद्र हुड्डा के लिए रोहतक में रोड शो कर चुकी हैं।

रोहतक में 6 लाख 70 हजार जाट हैं, इसके अलावा 3 लाख अनुसूचित जाति, 1 लाख 75 हजार अहीर, 1 लाख 20 हजार पंजाबी और 1 लाख 35 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। जाटों की दबदबे वाली सीट पर ज्यादातर जाटों का ही कब्जा रहा है लेकिन इस बार जंग जाट बनाम गैर जाट है। बीजेपी ने गैर जाट प्रत्याशी पर दांव लगाया है जबकि कांग्रेस और जेजेपी के प्रत्याशी जाट हैं।

रोहतक से बीजेपी एक बार भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी है। 2014 में मोदी लहर भी रोहतक के सामने फीकी पड़ गई थी। दीपेंद्र हुड्डा जनता को ये समझाने की कोशिश में हैं कि बीजेपी बांटने की राजनीति करती है। यहां 12 मई को वोटिंग होगी।