कोलकाता: लोकसभा चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देने को तैयार राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा अपने जांचे-परखे नेताओं की बजाए दल बदलकर आए नेताओं को प्राथमिकता दे रही हैं। राज्य में चुनावी परिदृश्य में हावी नजर आ रहे दोनों दलों के भीतर उम्मीदवारों के चयन को लेकर असंतुष्टि है।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दक्षिणी दिनाजपुर जिले के प्रमुख बिप्लब मित्रा ने कहा कि नए लोगों को टिकट देने और पुराने नेताओं को नजरअंदाज किए जाने से पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में गुस्सा है। तृणमूल कांग्रेस अकेले लड़ रही है और उसने लोकसभा की सभी 42 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है।
भाजपा ने बृहस्पतिवार को राज्य में 28 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। दोनों पार्टियों ने अपने निर्णय का यह कहते हुए बचाव किया है कि जीतने की संभावना उनके लिए सबसे अहम है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि पार्टी की आपसी लड़ाई को खत्म करने का यह सबसे बेहतर तरीका है।
वहीं, भाजपा के लिए इन दलबदलुओं को चुनाव में उतारना मजबूरी है, क्योंकि उसके पास अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उम्मीदवार नहीं हैं। तृणमूल कांग्रेस की सूची में शामिल 18 नए चेहरों में सात वे हैं जो पिछले कुछ वर्षों में या तो कांग्रेस से या वामपंथी पार्टियों से पार्टी में शामिल हुए हैं। दूसरी ओर, भाजपा की सूची में छह ऐसे उम्मीदवार हैं जो पहले या तो तृणमूल कांग्रेस से या माकपा से जुड़े हुए थे।