बिहार के जातीय समीकरण में सभी निगाहें राजग की सोशल इंजीनियरिंग पर
केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद कायस्थ समुदाय से हैं और पटना साहिब से उम्मीदवार हैं। राज्य में भाजपा और जद(यू) जहां 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, वहीं एलजेपी बाकी छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
नई दिल्ली: बिहार में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दो प्रमुख दलों भाजपा और जद(यू) ने इस बार लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट देने में नई सोशल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया है। बिहार में जाति समीकरण को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने जहां ज्यादा उच्च जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है वहीं जद(यू) ने पिछड़े और अति पिछड़े से ज्यादा उम्मीदवार खड़े किए हैं।
राजग का यह सोशल इंजीनियरिंग इस बार चुनाव में प्रदेश की सभी 40 सीटों पर महागठबंधन के खिलाफ कितना सफल होता है यह परिणाम ही बताएगा। महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) शामिल हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पारंपरिक वोट बैंक के मद्देनजर ऊंची जाति के 11 उम्मीदवारों को खड़ा किया है। इन 11 में पांच राजपूत, दो ब्राह्मण, दो वैश्य, एक भूमिहार और एक कायस्थ समुदाय से हैं। पार्टी ने अन्य पिछड़ा वर्ग से तीन और अति पिछड़ा वर्ग से दो और जनजाति वर्ग से एक उम्मीदवार उतारे हैं।
उधर जनता दल (युनाइटेड) ने ज्यादातर अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग से उम्मीदवार उतारे हैं। राज्य में इनकी आबादी करीब 50 फीसदी है। इसी तरह जनजाति की आबादी 15.7 फीसदी है। इसके अलावा मुस्लिम उम्मीदवार भी उतारे हैं। बिहार में मुस्लिम और यादव की आबादी करीब 32 फीसदी है। ऐसा माना जाता है कि इनकी सहानुभूति लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल से है।
राजग की सूची पर गौर करें तो कुल ऊंची जाति से 13 उम्मीदवार, अन्य पिछड़ा वर्ग से नौ, अति पिछड़ा वर्ग से आठ, जनजाति वर्ग से तीन उम्मीदवार मैदान में हैं। जद(यू) ने एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजग ने महागठबंधन के जातीय समीकरण की काट के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों को टिकट दिया है।
भाजपा को ऊंची जाति के पारंपरिक वोट बैंक मिलने का भरोसा है। इसके साथ ही जद(यू) के साथ की वजह से अन्य पिछड़ा वर्ग में यादव को छोड़कर कुर्मी एवं अन्य का वोट मिलने की उम्मीद है। राजग के एक नेता ने कहा, "भाजपा और जद(यू) अति पिछड़ा वर्ग और जनजाति पर भी फोकस कर रही है, जिसकी आबादी करीब 30 फीसदी और 15.7 फीसदी है।"
राजग नेताओं का कहना है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास पुरुष की छवि और सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस कर रहे हैं। राजग ने राजपूत में राधामोहन सिंह (मोतिहारी), आर.के.सिंह (आरा), राजीव प्रताप रूडी (सारण), जनार्दन सिंह सिग्रीवाल (महाराजगंज) और सुशील कुमार सिंह (औरंगाबाद) को उतारा है। ये सभी भाजपा से हैं।
भूमिहार में गिरिराज सिंह (बेगूसराय-भाजपा), राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन (मुंगेर-जदयू) और चंदन कुमार (नवादा-एलजेपी) शामिल हैं। ब्राह्मण में अश्विनी कुमार चौबे (बक्सर-भाजपा), गोपालजी ठाकुर (दरभंगा-भाजपा) मैदान में हैं।
केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद कायस्थ समुदाय से हैं और पटना साहिब से उम्मीदवार हैं। राज्य में भाजपा और जद(यू) जहां 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, वहीं एलजेपी बाकी छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
राजग ने 2014 में 40 में से 31 सीटें जीती थी। भाजपा ने 22, एलजेपी छह, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को तीन सीटें मिली थीं। इस बार लोक समता पार्टी महागठबंधन का हिस्सा है।
जद(यू) पिछली बार राजग का हिस्सा नहीं थी और उसे केवल पूर्णिया और नवादा दो सीटों पर ही जीत मिली थी। बिहार में 40 सीटों में से चार सीटों पर गुरुवार को मतदान हो गया। बाकी सीटों के लिए अगले छह चरणों में मतदान होंगे।