नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों के लिए अभी एक हफ्ते का समय है लेकिन 5 साल पहले आज ही के दिन यानि 16 मई 2014 को चुनाव नतीजे घोषित हुए थे और नतीजों से साफ हो गया था कि मोदी लहर के आगे कोई नहीं टिक पाया है। कुछ एक राज्यों को छोड़ देश के अधिकतर राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के आगे विपक्षी दल टिक नहीं पाए थे।
2014 के लोकसभा चुनावों में देश की 543 लोकसभा सीटों में से 282 पर अकेले भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई थी और पार्टी को अकेले ही पूर्ण बहुतम मिल गया था। गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गोवा में में पार्टी ने क्लीन स्वीप करते हुए सारी लोकसभा सीटें जीत ली थी। इनके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र और असम में भी अधिकतर सीटें भाजपा के खाते में गईं थी। कुछेक जगहों पर भाजपा के सहयोगी दल अन्य दलों पर भारी पड़े थे। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है और लोकसभा चुनाव के इतिहास में पार्टी को पहली बार इतनी बड़ी हार मिली थी कि पार्टी सिर्फ 44 सीटों पर जीत पायी थी।
2014 के लोकसभा चनावों में जिन 4 बड़े राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा था वह पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, केरल और ओडिशा हैं। पश्चिम बंगाल में 2 तथा तमिलनाडू और ओडिशा में पार्टी को 1-1 सीट मिली थी। केरल में भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाया था।
इस बार के लोकसभा चुनावों में भाजपा उन चारों राज्यों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं जहां पर 2014 में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा था, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे के आमने सामने हैं जबकि तमिलनाडू में भाजपा ने एआईएडीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है। केरल में भी कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर पार्टी ने चुनाव लड़ा है और ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल को सिर्फ भाजपा से चुनौती मिल रही है।
इस बार के लोकसभा चुनाव नतीजों को आने में अब सिर्फ 1 हफ्ते का समय बचा है, अब देखना होगा कि इस बार भी 2014 की तरह मोदी की बड़ी लहर है या फिर कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल मोदी को टक्कर दे रहे हैं।