नयी दिल्ली: कर्नाटक चुनाव प्रचार इस समय अपने चरम पर है। भाजपा और कांग्रेस चुनावी प्रचार में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। सत्ता बचाने के लिए जहां कांग्रेस अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, तो वहीं भाजपा भी एक और राज्य में कमल खिलाने के लिए बेकरार है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। आज विजयपुरा (बीजापुर) में सोनिया गांधी और पीएम मोदी आमने-सामने होंगे, दोनों एक ही जिले में एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे।
सोनिया गांधी करीब 21 महीनों के बाद पार्टी के लिए वोट मांगने के मकसद से जनता के बीच होंगी। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अगस्त, 2016 में वाराणसी में रोड शो किया था, हालांकि उस दौरान बीच में ही उनकी तबियत बिगड़ गई थी। कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी की पूर्व अध्यक्ष आज शाम चार बजे बीजापुर में जनासभा को संबोधित करेंगी।
पिछले 18 महीनों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव तथा कई स्थानों पर लोकसभा एवं विधानसभा उपचुनाव भी हुए। इनमें से कहीं भी सोनिया की सभा नहीं हुई। इन चुनावों में राहुल गांधी ने पार्टी के प्रचार की कमान संभाली।
इससे पहले रविवार को पीएम मोदी ने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए इसे एक ‘डील पार्टी’ बताया। साथ ही, उन्होंने कहा कि इसे पूरे देश से उखाड़ फेंका जा रहा है और इसे अब कोई भी नहीं बचा सकता। कर्नाटक के चित्रदुर्ग, रायचूर, जमखांडी और हुबली में लगातार चार चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि यह समाज को विभाजित करने की साजिश के तहत इतिहास से छेड़छाड़ कर रही है।
भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ ‘‘बेबुनियाद’’ आरोप लगाने को लेकर कांग्रेस पर पलटवार करते हुए मोदी ने उसे नेशनल हेराल्ड मामले की याद दिलाई, जिसमें मां-बेटे (सोनिया गांधी और राहुल) घोटाला के आरोपों का सामना कर रहे हैं और जमानत पर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी पार्टी जिसके प्रमुख जमानत पर हैं, क्या वह हमसे सवाल पूछ रही है।’’ उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा ने अदालतों का सामना किया है।
चित्रदुर्ग की रैली में मोदी ने वोट बैंक की राजनीति की खातिर ‘‘सुल्तानों की जयंतियां’’ मनाने को लेकर कांग्रेस की आलोचना की। मोदी का इशारा संभवत: 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की याद में हर साल 10 नवंबर को ‘टीपू जयंती’ मनाने के राज्य की सिद्धरमैया सरकार के फैसले की ओर था।