झारखंड में बीजेपी को लगा झटका, बीच चुनाव पार्टी प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने दिया इस्तीफा
प्रभाकर नई दिल्ली में रविवार को नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल हुए। बताया जाता है कि वह टिकट बंटवारे से नाराज चल रहे थे।
नई दिल्ली: झारखंड में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच रविवार को भारतीय जनता पार्टी को उस समय बड़ा झटका लगा, जब प्रमुख प्रवक्ता व झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शुमार प्रवीण प्रभाकर ने पार्टी छोड़ दी। अब वह एनपीपी के टिकट पर झारखंड की नाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। प्रवीण प्रभाकर पिछले 5 वर्षो से बीजेपी से जुड़े थे। वह आजसू के संस्थापक सदस्यों में भी शुमार रहे। प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि बीजेपी में मोदी-शाह से काफी सीखने को मिला, मगर झारखंड में पार्टी को आत्मचिंतन करने की जरूरत है।
प्रभाकर नई दिल्ली में रविवार को नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल हुए। बताया जाता है कि वह टिकट बंटवारे से नाराज चल रहे थे। वह एनपीपी के टिकट पर नाला विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे। नाला विधानसभा सीट पर आखिरी चरण में 20 दिसंबर को मतदान है। मेघालय के मुख्यमंत्री व एनपीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सी.के. संगमा और सांसद अगाथा संगमा समेत अन्य नेताओं ने नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रवीण प्रभाकर को सदस्यता दिलाई।
इस मौके पर मेघालय के गृहमंत्री जेम्स संगमा और पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राज कुमार पोद्दार समेत कई नेता उपस्थित थे। एनपीपी को हाल में ही चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता प्रदान की है। एनपीपी समेत पूरे देश में मात्र 8 पार्टियों को राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता प्राप्त है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री सी.के. संगमा ने कहा, ‘दिवंगत पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पी.ए. संगमा ने वर्ष 2013 में एनपीपी की स्थापना की थी। उनका सपना था कि एनपीपी पूर्वोत्तर तक सीमित न होकर राष्ट्रीय दल बने और अन्य राज्यों में भी वंचितों के लिए काम करे।’
संगमा ने आगे कहा, ‘प्रवीण प्रभाकर झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता व बीजेपी प्रवक्ता रहे हैं। उनके एनपीपी में शामिल होने से झारखंड समेत भारत के अन्य राज्यों में पार्टी का जनाधार फैलेगा और हमसब मिलकर संगमा साहब के सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर पाएंगे।" प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि उन्हें बीजेपी से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है, लेकिन झारखंड में पार्टी को आत्मचिंतन करने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के मार्गदर्शन में मुझे काफी कुछ सीखने का अवसर मिला है। उनके नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है, लेकिन झारखंड की जनता की आकांक्षाओं पर लगातार आघात जारी है। मैंने झारखंड आंदोलन में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया और एक बेहतर झारखंड के निर्माण के लिए आजीवन संघर्ष करता रहूंगा। मुझे विश्वास है कि इसमें एनपीपी नेताओं का पूरा सहयोग और मार्गदर्शन मिलेगा। उन्होंने कहा कि संघर्ष के रास्ते से ही शहीदों के सपनों का झारखंड बन पाएगा।’