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अरविंद केजरीवाल चुनाव जीत गए तो मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा, BJP उम्मीदवार सुनील यादव का ऐलान

दिल्ली विधानसभा चुनाव की सबसे हॉट सीट नई दिल्ली विधानसभा सीट है। यहां से सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावी मैदान में हैं। उन्हें टक्कर देने के लिए भाजपा की ओर से सुनील कुमार यादव हुंकार भर रहे हैं।

अरविंद केजरीवाल जीत गए तो मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा, BJP उम्मीदवार सुनील यादव का ऐलान- India TV Hindi अरविंद केजरीवाल जीत गए तो मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा, BJP उम्मीदवार सुनील यादव का ऐलान

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव की सबसे हॉट सीट नई दिल्ली विधानसभा सीट है। यहां से सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावी मैदान में हैं। उन्हें टक्कर देने के लिए भाजपा की ओर से सुनील कुमार यादव हुंकार भर रहे हैं। फिलहाल, दिल्ली के जनता ने दोनों की किस्मत का फैसला आठ फरवरी को ईवीएम मशीन में बंद कर दिया, जिसका खिलासा 11 फरवरी को मतगणना के साथ होगा।

लेकिन, 11 फरवरी से पहले ही आठ फरवरी की रात 10 बजकर 54 मिनट पर भाजपा उम्मीदवार सुनील कुमार यादव ने अपनी जीत और अरविंद केजरीवाल की हार पर अपना पूरा राजनीतिक भविष्य दाव पर लगा दिया। उन्होंने एक ट्वीट में ऐलान कर दिया कि अगर वह अरविंद केजरीवाल से चुनाव हार गए तो फिर कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे और हमेशा संगठन की सेवा करते रहेंगे।

सुनील कुमार यादव ने ट्वीट में लिखा कि "श्री नरेंद्र मोदी जी, श्री अमित शाह जी, श्री जेपी नड्डा जी एवं संगठन ने मुझपर भरोसा किया इसके लिए उनका आभार। केजरीवाल जी अपना चुनाव हारेंगे व नई दिल्ली में भाजपा की जीत निश्चित है। अगर यह नहीं हो पाया तो मैं कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा व जीवनभर केवल संगठन का ही काम करूँगा। भारत माता की जय।" यह ट्वीट उन्होंने 8 फरवरी की रात 10. 54 बजे किया।

2015 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आम आदमी पार्टी प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल की जीत हुई थी। उन्हें कुल 57,213 वोट मिले थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी नूपुर शर्मा को हराया था जिन्हें 25,630 वोट मिले थे। ऐसे में इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदला और सुनील कुमार यादव को अरविंद केजरीवाल के सामने चुनावी मैदान में उतार दिया।

दिल्‍ली विधानसभा का गठन पहली बार 7 मार्च, 1952 को हुआ था। उस समय इसके सदस्‍यों की संख्‍या 48 थी। हालांकि 1956 में राज्‍य पुनर्गठन आयोग की अनुशंसाओं के क्रियान्‍वयन के बाद इसे केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया और मंत्रिपरिषद को खत्‍म कर दिया गया। इसके बाद विधानसभा की जगह दिल्‍ली मेट्रोपॉलिटन काउंसिल ने ले ली। आखिरकार 1991 में काउंसिल की जगह दिल्‍ली विधानसभा ने ले ली।