आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल को दी चेतावनी
चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल को चेतावनी देते हुए कहा कि वे चुनाव आचार संहिता का ध्यान रखें।
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल को चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर चेतावनी दी है। अरविंद केजरीवाल ने वकीलों के एक कार्यक्रम में कहा था कि उनकी सरकार कोर्ट परिसर में भी मोहल्ला क्लीनिक बनाने को तैयार है। चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल को चेतावनी देते हुए कहा कि वे चुनाव आचार संहिता का ध्यान रखें।
चुनाव से पहले आचार संहिता क्यों लागू की जाती है?
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र के आधार हैं। इसमें मतदाताओं के बीच अपनी नीतियों तथा कार्यक्रमों को रखने के लिए सभी उम्मीदवारों तथा सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर और बराबरी का स्तर प्रदान किया जाता है। इस संदर्भ में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का समान स्तर उपलब्ध कराना प्रचार, अभियान को निष्पक्ष तथा स्वस्थ्य रखना, दलों के बीच झगड़ों तथा विवादों को टालना है।
इसका उद्देश्य केन्द्र या राज्यों की सत्ताधारी पार्टी आम चुनाव में अनुचित लाभ लेने से सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग रोकना है। आदर्श आचार संहिता लोकतंत्र के लिए भारतीय निर्वाचन प्रणाली का प्रमुख योगदान है।
चुनाव आचार संहिता का इतिहास
एमसीसी राजनीतिक दलों तथा विशेषकर उम्मीदवारों के लिए आचरण और व्यवहार का मानक है। इसकी विचित्रता यह है कि यह दस्तावेज राजनीतिक दलों की सहमति से अस्तित्व में आया और विकसित हुआ। 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता में यह बताया गया। कि क्या करें और क्या न करें। इस संहिता के तहत चुनाव सभाओं के संचालन जुलूसों, भाषणों, नारों, पोस्टर तथा पट्टियां आती हैं।
पहली बार 1962 में हुआ आचार संहिता का पालन
1962 के लोकसभा आम चुनावों में आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया तथा राज्य सरकारों से अनुरोध किया गया कि वे राजनीतिक दलों द्वारा इस संहिता की स्वीकार्यता प्राप्त करें। 1962 के आम चुनाव के बाद प्राप्त रिपोर्ट यह दर्शाता है कि कमोबेश आचार संहिता का पालन किया गया। 1967 में लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में आचार संहिता का पालन हुआ।