Chunav Manch: CAA पर शाहीन बाग प्रदर्शन के आयोजक और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद आमने-सामने
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत लोकतंत्र है। लोगों को हमारी पार्टी, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री की भी आलोचना करने का अधिकार है। उन्होंने कहा सीएए किसी हिंदुस्तानी पर लागू नहीं होता।
नई दिल्ली। सीएए पर पूरे देश में चर्चा चल रही है। मुस्लिमों का एक बड़ा हिस्सा इस कानून का विरोध कर रहा है। इंडिया टीवी के खास कार्यक्रम चुनाव मंच में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के सवालों का जवाब दिया। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत लोकतंत्र है। लोगों को हमारी पार्टी, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री की भी आलोचना करने का अधिकार है। उन्होंने कहा सीएए किसी हिंदुस्तानी पर लागू नहीं होता। ये कानून न किसी हिंदुस्तानी की नागरिकता लेता है और न देता है। उन्होंने कहा कि ये कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों पर लागू होता है। ये मुल्क हिंदु और मुसलमानों दोनों का है। हमारी सोच बहुत साफ है, जिनके मन में सीएए को लेकर भ्रम है, हम चर्चा के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोगों ने भी उन्हें नागरिकता देने के लिए चिट्ठी लिखी है।
सवाल- सीएबी में था प्रताड़ित अल्पसंख्यक, जबकि सीएए में ये कहीं नहीं है। अलग से कानून बनाने की क्या जरूरत पड़ गई?
जवाब- भारत के नागरिकता कानून में आप व्यक्तिगत लेवल पर नागरकिता प्राप्त कर सकते हैं। लगभग पुाकिस्तान के 600 लोगों को नागरिकता दी है, वो व्यक्तिगत है। यहां हिंदू, बौद्ध, ईसाई अपनी आस्था के कारण प्रताड़ित हैं। इन तीनों मुल्कों में हम सेक्यूलर हैं, बाकि तीनों इस्लामिक है। इन देशों में लगातार अल्पसंख्यकों को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। बलूचिस्तान के एक हिंदू ने बताया कि उसकी बेटी अगवा हुई, बच्चा शिकायत करने गया तो उसकी पिटाई हो गई। उन्होंने कहा कि वो अपने घर से भगाए गए क्योंकि वो गैर मुस्लिम हैं, उन्हें सताया गया है। इस कानून को इंसानियत और मानवता के आधार पर देखा जाए।
सवाल- देश के गृह मंत्री संसद में कुछ बोलते हैं, पीएम रामलीला मैदान में कुछ बोलते हैं। दोनों कन्फ्यूज हैं। क्या हमें अपना अधिकार मानने का हक नहीं हैं।
जवाब- हम आपके जज्बात और विरोध करने के अधिकार का सम्मान करते हैं। ये सीएए का मामला है, जिसका भारतीय लोगों से कोई लेना देना नहीं है। एनपीआर उनका है जो भारत में रहते हैं, नागरिक होना जरूरी नहीं है। एनपीआर सरकार के नीति और नियम बनाने के लिए है। एनआरसी के लिए डेट तय होगी, चर्चा होगी फिर विजन तय होगा। अभी कुछ नहीं हुआ। 2010 में एनपीआर लाने का फैसला मनमोहन सिंह की सरकार में हुआ।
उन्होंने कहा कि हमने उज्जवला योजना में क्या मुस्लिमों को छोड़ दिया, क्या बिजली, आयुष्मान भारत में मुस्लिम परिवारों को छोड़ दिया गया। ये है हमारी सोच, सबका साथ-सबका विकास। ये कहना कि मुस्लिमों में हम खौफ पैदा कर रहे हैं ये गलत है। क्या अमेरिका, यूरोप में आप ऐसे ही घुस सकते हैं। ये सभी लोकतांत्रिक देश हैं, जहां लोगों के वोट से सरकार बनती और बिगड़ती है, जब ये देश अपने नागरिकों की सूची रखे तो ठीक है, भारत रखे तो क्या दिक्कत है।
सवाल- एनपीआर में गजेट लेवल का ऑफिसर डाउटफूल घोषित करेगा। दूसरा, शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर आपके नेता गलत शब्द बोलते हैं। शाहीन बाग में आप संवाद करने क्यों नहीं आए।
जवाब- कभी नहीं करेगा। क्योंकि एनपीआर सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान में रहने वाले लोगों का है। यहां के जो रहने वाले हैं, नागरिक नहीं। देखिए किसी भी औरत के साथ मैं गलत शब्दों को सही नहीं मानता। इस मुल्क की औरतों के साथ इजाजत से बात करनी चाहिए। क्यों कुछ सौ लोग हजारों लोगों की आवाज बंद कर सकते हैं। अगर आप विरोध बंद कर रहे हैं, अच्छी बात है। लेकिन आपके ही कुछ लोग लगातार कर रहे हैं कि जब तक सीएए वापस नहीं होगा, तब तक कोई बात नहीं होगी।
सवाल - शाहीन बाग जाकर कोई बात क्यों नहीं करता।
जवाब- अगर ये चाहते हैं कि सरकार का नुमिंदा बात करे, तो संगठित तरीके से सरकार के पास आए तो सरकार बात करेगी आपसे।
सवाल- हमारी दिक्कत ये है कि जब जब सीएए और एनआरसी से जोड़ा जाएगा तो परेशानी होगी।
जवाब- सीएए का एनआरसी से कोई मतलब नहीं है। आपके डर का कोई इलाज हम नहीं कर सकते, हम तथ्यात्मक जवाब दे सकते हैं। इस आशंका का कोई आधार नहीं। मैं हमेश कहता हूं कि आप हमारे कानून को देखें। अभी पद्म अवार्ड घोषित हुए हैं न उसमें हिंदु भी हैं मुसलमान भी। ये मुल्क जितना मेरा है, उतना आपका भी है।
सवाल- इस बीच सुबही खान ने सीएए और एनआरसी का समर्थन किया, उन्होंने कहा कि विरोधियों को लगता है कि सीएए आप असम में हिंदुओं को बचाने के लिए लाए।
जवाब- जब इदी अमिन ने युगांडे के गुजराती हिंदुओं को निकाला था, तो इंदिरा गांधी ने नागरिकता दी थी या नहीं, श्रीलंका ने तमिल लोगों को निकाला था तो राजीव गांधी ने नागरिकता दी थी या नहीं। विरोधियों की जबान क्यों खामोश रहती है, जब पाकिस्तान में हिंदु, सिखों की लड़कियों से जादती होती है। अगर आप इस्लामिक लोगों को प्रताड़ित होनी की बात कहेंगे तो हम सुनेंगे।
सवाल- लोग पैनिक हो रहे हैं, एक गाइड लाइन क्यों नहीं आ रही है। एनआरसी का क्या होगा।
जवाब- सरकार की तरफ से इसका नोटिफिकेशन पब्लिश हुआ है। यहां तीन लोगों ने कहा कि वो सीएए के खिलाफ नहीं हैं। मेरी आपसे गुजारिश है कि आप शाहीन बाग के लोगों को समझाइए कि आपको सीएए का विरोध नहीं है। बच्चों को पीएम मोदी को मारने की बातें सिखाईं गई, इसकी मुझे बहुत पीड़ा हुई। अनुराग ठाकुर को लेकर सवाल हुआ तो रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उनपर कार्रवाई हुई है न।
विचार- सीएए और एनआरसी तो बहाना है, मकसद हिंदुस्तान को जलाना है। आपने ऐसे-ऐसे मुद्दों को सुलझा लिया जो पांच सौ साल से ज्वलंत थे। क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा कि पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लाना चाहिए था फिर सीएए और एनआरसी लाना चाहिए था। शाहीन बाग के बच्चे आग चलकर बुरहान वानी बन सकते हैं, शरजील इमाम, शरजील इमाम नहीं शरजील बेलगाम बन सकते हैं। इनको रोकना होगा।
अन्य विचार- शाहीन बाग में पीएफआई का ऑफिस है, वहां से सबकुछ हो रहा है। मैं पीएम मोदी की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने महिलाओं पर कोई जुल्म नहीं करवाया, इतनी अराजकता फैल रही है। पूरा हिंदुस्तान देख रहा होगा। देशहित में जो भी कानून बनेगा, हम उसका सम्मान करेंगे।
आखिरी जवाब- मेरी आपसे गुजारिश है। आप अपनी जमात से गुफ्तगू करिए। उन्हें समझाइए। अगर आपको सीएए से कोई दिक्कत नहीं है, तो उन्हें समझाइए। बच्चों को गलत चीजें बढ़ाना बंद करिए। हम कार्रवाई नहीं करना चाहते वजह है- बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ हमारे दिल में हैं। आज हिंदुस्तान में एक नई रोशनी गई है, कि आपमें से कुछ लोग सीएए का समर्थन करते हैं। जमूरियत का यहीं तकाजा है, कि बातचीत करके हल निकाला जाए।