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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018: क्या सरगुजा में खिसकते जनाधार को रोक पाएगी भाजपा?

छत्तीसगढ़ का उत्तरी क्षेत्र सरगुजा राज्य के पठारी क्षेत्रों में से एक है, तथा क्षेत्र के राजघरानों ने यहां होने वाले चुनावों को प्रभावित किया है।

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रायपुर: छत्तीसगढ़ का उत्तरी क्षेत्र सरगुजा राज्य के पठारी क्षेत्रों में से एक है, तथा क्षेत्र के राजघरानों ने यहां होने वाले चुनावों को प्रभावित किया है। इस क्षेत्र में भाजपा जहां धीरे-धीरे जनाधार खोती गई वहीं कांग्रेस की सीटों में बढ़ोतरी हुई है। छत्तीसगढ़ में दूसरे और अंतिम चरण के चुनाव में कुछ ही समय शेष है। इस महीने की 20 तारीख को राज्य के 72 सीटों के लिए मतदान होगा जिसके लिए यहां के राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार की गवाह सरगुजा क्षेत्र की 14 सीटें भी है, जहां के मतदाताओं के सामने जंगली हाथी की समस्या समेत अनेक कई समस्याएं है। कभी धुर नक्सली इलाका रहा यह क्षेत्र वन और खनिज संपदा से भरपूर है।

सरगुजा क्षेत्र की राजनीति यहां के प्रसिध्द राजघरानों से भी प्रभावित रही है। यहां के प्रसिध्द राजघरानों में से एक सरगुजा का सिंहदेव राजघराना है, जिसके वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं। वहीं दूसरा प्रमुख राजघराना जशपुर जिले में जूदेव राजघराना है जिसके कुमार दिलीप सिंह जूदेव भाजपा के कद्दावर नेता थे। क्षेत्र में तीसरा राजघराना कोरिया जिले का सिंहदेव राजघराना है। जिले के बैकुंठपुर क्षेत्र से रामचंद्र सिंहदेव विधायक चुने जाते थे। रामचंद्र सिंहदेव छत्तीसगढ़ के पहले वित्त मंत्री थे। सिंहदेव अपनी सादगी के कारण जाने जाते थे।

वन और पहाड़ों से घिरे सरगुजा क्षेत्र में 5 जिले सरगुजा, जशपुर, कोरिया, बलरामपुर और सूरजपुर है। इस क्षेत्र में विधानसभा की 14 सीटें हैं। आदिवासी बाहुल्य इस क्षेत्र में 9 विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। राज्य में जब पहली बार वर्ष 2003 में विधानसभा के चुनाव हुए तब यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित था और इस क्षेत्र के लोगों का आशीर्वाद भाजपा को मिला। भाजपा ने इस क्षेत्र में 14 में से 10 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को यहां केवल 4 सीटें ही मिलीं। 

इस चुनाव में भाजपा ने राज्य की 90 सीटों में से 50 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी और रमन सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। वहीं कांग्रेस को 37, बसपा को 2 और NCP को एक सीट मिली थी। राज्य में वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इतिहास दोहराया और सरगुजा क्षेत्र की 9 सीटों पर जीत हासिल की। इस बार भाजपा को इस क्षेत्र में एक सीट का नुकसान हुआ था लेकिन इस बार भी राज्य में भाजपा की सरकार बनी थी। सरगुजा क्षेत्र में कांग्रेस को 5 सीटें मिली थी।

वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा का जनाधार दक्षिण क्षेत्र बस्तर की तरह ही उत्तर के पठारी इलाके में भी घटा और इस बार पार्टी की सीट 7 रह गई। इस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को बराबरी से टक्कर दी थी। इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में सबकी नजर सरगुजा क्षेत्र की सीटों पर है। क्षेत्र की प्रतिष्ठित अंबिकापुर सीट से कांग्रेस विधायक दल के नेता टीएस सिंहदेव चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ भाजपा के युवा नेता अनुराग सिंहदेव हैं।

क्षेत्र की बैकुंठपुर विधानसभा सीट से राज्य के खेल मंत्री भैया लाल राजवाड़े के खिलाफ पूर्व वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी अंबिका सिंहदेव चुनाव मैदान में है। वहीं प्रतापपुर से गृह मंत्री रामसेवक पैकरा के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व मंत्री प्रेमसाय टेकाम ताल ठोंक रहे हैं। क्षेत्र की पत्थलगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रामपुकार सिंह के खिलाफ भाजपा के विधायक शिवशंकर पैकरा चुनाव मैदान में है।

सरगुजा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है तथा यहां उरांव जनजाति की बहुलता है। इस क्षेत्र के जशपुर जिले के कुनकुरी में एशिया का सबसे बड़ा गिरजाघर है, तथा यह क्षेत्र इसाई मिशनरी का प्रभाव वाला क्षेत्र है। राज्य के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार रमेश नैयर कहते हैं कि इस क्षेत्र में जंगली हाथी की समस्या प्रमुख मुद्दों में से है। वहीं इसाई मिशनरी के प्रभाव वाला क्षेत्र होने के कारण यहां धर्मांतरण भी एक मुद्दा है। इस क्षेत्र में ही कुमार दिलीप सिंह जूदेव ने घर वापसी अभियान चलाया था। नैयर कहते हैं कि यह दोनों मुद्दे पहले भी असर डालते रहे हैं, इस बार भी डालेंगे।

सरगुजा क्षेत्र में जीत हासिल करने को लेकर राज्य की सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के अपने अपने दावे हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री संतोष पांडेय कहते हैं कि राज्य में रमन सिंह की सरकार ने इस क्षेत्र में लगातार विकास के काम किए और यहां की प्रमुख समस्याओं को दूर करने के लिए गंभीर प्रयास किया गया। पार्टी को उम्मीद है कि इस क्षेत्र के मतदाताओं का आशीर्वाद एक बार फिर भाजपा को मिलेगा।

वहीं कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी कहते हैं कि राज्य के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा अपना जनाधार खो रही है। उन्होंने दावा किया कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस को क्षेत्र की 10 सीटों पर जीत मिलेगी। छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के लिए इस महीने की 20 तारीख को मतदान होगा। 11 दिसंबर को मतों की गिनती होगी।