नीतीश कुमार का पहला और आखिरी प्यार कुर्सी से चिपके रहना है: तेजस्वी यादव
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को को एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा।
पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को को एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को कुर्सी से प्यार करने वाला बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बेरोज़गारी, गरीबी और भुखमरी को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया।
तेजस्वी यादव ने कहा, "नीतीश जी का पहला और आखिरी प्यार कुर्सी से चिपके रहना है, उनको बताना चाहिए कि वो बेरोज़गारी कैसे दूर करेंगे। वो बेरोज़गारी, गरीबी और भुखमरी पर क्यों नहीं बोलते। बिहार के लोग जान रहे हैं कि अगर NDA को नहीं हराया गया तो आगे भी बेरोज़गारों के लिए ऐसी सरकार कुछ नहीं करेगी।"
वहीं, इससे पहले शनिवार को तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार सरकार पर हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाया था। तेजस्वी यादव ने कहा था कि भ्रष्टाचार के कारण राज्य खोखला हो चुका है, युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है और ऐसे में जनता को चाहिए कि इस युवा विरोधी सरकार को वह हटा दे।
शनिवार को बांका में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कहा, ‘‘राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है। भ्रष्टाचारियों ने पूरी तरह राज्य को खोखला कर दिया है। सरकार ने गरीबी मिटाने के बदले गरीब को ही मिटा दिया। यह सरकार पिछले 15 साल में हर मोर्चे पर विफल रही है।’’
उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जिस सरकार ने पंद्रह साल में रोज़गार नहीं दिया, वह अब क्या देगी? राजद नेता ने कहा, ‘‘हम युवा विरोधी नीतीश सरकार को हटाएँगे और पहली कैबिनेट में पहली कलम से बेरोजगारों को 10 लाख नौकरियाँ देंगे।’’
महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा था कि उनकी सरकार बनने पर सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत राशि 400 रुपए से बढ़ा कर 1000 रुपये कर दी जाएगी और बिजली बिल आधा किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि राज्य में पर्यटन, सिंचाई और आधारभूत सरंचनाओं को पूरी तरह से विकसित किया जाएगा।
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि कोरोना काल में बिहार के 40 लाख मजदूर व कामगार अन्य प्रदेशों में फंसे थे लेकिन राज्य सरकार ने उनको वापस लाने की दिशा में किसी भी प्रकार कार्य नहीं किया।
राजद नेता ने कहा था, ‘‘समान काम पर समान वेतन हक़ और समानता के अधिकार की बात है। ये इंसाफ़ की बात है। दो शिक्षक जब एक ही विद्यालय में पढ़ा रहे हैं तो उनका वेतनमान अलग-अलग क्यों? हम यह विसंगति दूर करेंगे।’’