नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) द्वारा लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा ) को ऑफर की गई सीटों को लेकर बैचेनी के बीच पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान द्वारा शनिवार को पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है, जिसमें यह तय होगा कि बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी राजग के साथ मिलकर चुनाव लड़े या अकेले लड़े। पासवान द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के एक दिन बाद मामले में यह प्रगति देखने को मिली है।
लोजपा के एक नेता ने कहा कि बैठक शाम 5 बजे होगी जिसमें सीट बंटवारे के फार्मूले पर चर्चा होगी और यह भी तय होगा कि पार्टी को अपने दम पर लड़ना चाहिए या गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहिए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, लोजपा राज्य में 36 विधानसभा और दो एमएलसी सीटों की मांग कर रही है। हालांकि, जनता दल-यूनाइटेड लोजपा को 20 से अधिक सीटें देने की इच्छुक नहीं है।
पिछले महीने, संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान, एलजेपी ने अपने नेताओं को बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 143 के लिए उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करने के लिए कहा था। लोजपा राज्य में कई मुद्दों को लेकर नीतीश कुमार सरकार की आलोचना करती रही है, जिसमें कोविड-19 महामारी, प्रवासी श्रमिकों और बाढ़ के मुद्दों से निपटने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान ने कई मौकों पर नीतीश कुमार को लिखा, लेकिन मुख्यमंत्री ने एक बार भी जवाब नहीं दिया। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो जल्द ही सीटों के बंटवारे को लेकर घोषणा की जाएगी और चार या पांच अक्टूबर को पहले चरण के मतदान वाली सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी। पहले चरण के तहत राज्य की 243 में से 71 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया गुरुवार को आरंभ हो जाएगी, जो आठ अक्टूबर तक चलेगी।
लोजपा ने संकेत दिए हैं कि यदि सीटों का सम्मानजनक बंटवारा नहीं हुआ तो वह राज्य की 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। वर्ष 2015 के चुनाव में लोजपा 42 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे महज दो ही सीटों पर जीत मिल सकी थी। उस चुनाव में जद(यू) महागठबंधन का हिस्सा था। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ मिलकर उसने राजग को पटखनी दी थी। बिहार विधानसभा चुनाव 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होंगे।