नई दिल्ली. भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में नहीं कराने की मांग की है और कहा है कि महामारी के हालात में चुनाव कराना जानबूझकर लोगों को मौत की तरफ धकेलने के समान होगा।
लोजपा ने कहा कि इस समय संसाधनों का इस्तेमाल कोविड-19 संकट से निपटने में तथा राज्य में बाढ़ से निपटने में होना चाहिए, न कि चुनाव कराने में। पार्टी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी पहले ही खतरनाक स्वरूप ले चुकी है और जानकारों का मानना है कि अक्टूबर-नवंबर में यह और खतरनाक स्तर पर हो सकती है, इसलिए इस समय प्राथमिकता लोगों की जान बचाने की होनी चाहिए, न कि चुनाव कराने की।
चुनाव कराने के संबंध में लोजपा का रुख राजग में भाजपा की अन्य सहयोगी जदयू के विपरीत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जदयू ने समय पर चुनाव कराने की वकालत की है और इसकी तैयारियों के सिलसिले में पार्टी संगठन स्तर पर बैठकें भी कर रही है।
भाजपा का कहना है कि चुनाव की तारीखों पर कोई भी फैसला चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है, वहीं बिहार में मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर चुनाव टालने की मांग कर चुका है। आयोग ने चुनाव कराने पर सभी दलों के विचार पूछे हैं।
लोजपा ने कहा कि चुनाव कराने के लिए एक बड़ी आबादी की जान को खतरे में डालना पूरी तरह अनुचित है। उसने कहा कि देश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण से 35 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 280 मामले बिहार के हैं।
उसने चुनाव आयोग से कहा, ‘‘ऐसे हालात में चुनाव कराना जानबूझकर लोगों को मौत की ओर धकेलने के समान होगा।’’ पार्टी ने कहा है कि बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ से भी बुरी तरह त्रस्त है।