नई दिल्ली | बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के बीच लोकसभा चुनाव की तर्ज पर 50-50 के फॉर्मूले पर मंथन हुआ है। सीटों के बंटवारे पर लगभग सहमति बन जाने की खबर आ रही है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा और जदयू ने 119-119 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। हालांकि अपने कोटे से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' को देने के लिए जदयू को पांच सीटें और मिलेंगी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि रविवार की देर रात से सोमवार तक सीटों के बंटवारे के बारे में आधिकारिक सूचना जारी हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, बिहार में सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के एनडीए का साथ छोड़ने के बाद भाजपा और जदयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर बातचीत हुई है। चूंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी महागठबंधन छोड़कर एनडीए के पाले में आए हैं तो उनके हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को भी पांच सीट देने की तैयारी है। हम को ये पांच सीटें जदयू अपने खाते से देगी। इस प्रकार भाजपा से जदयू पांच सीटें ज्यादा लेगी।
अगर इस फॉर्मूले पर अंतिम तौर पर सहमति बनी तो भाजपा 119 सीटों पर लड़ेगी तो जदयू को 124 सीटें मिलेंगी, जिसमें से पांच सीटें वह हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को देगी। इस प्रकार जदयू भी 119 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
संख्या फाइनल, सीटों पर सस्पेंस:
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि बिहार में सीटों की संख्या पर भाजपा और जदयू में सहमति कायम हो गई है, लेकिन चार दर्जन सीटों पर पेंच फंसा है। ये वो सीटें हैं, जहां 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। आधी सीटों पर जदयू जीती थी तो आधी पर भाजपा जीती थी। दोनों दल अपने लिए सुरक्षित सीटों की व्यवस्था चाहते हैं। इन्हीं सीटों पर पेंच फंसा है। हालांकि पहले चरण के चुनाव में शामिल सीटों के बंटवारे पर दोनों दलों में सहमति कायम हो गई है।
चिराग ने पकड़ी अलग राह:
बिहार विधानसभा चुनाव में रविवार को बड़ी घटना हुई, जब एनडीए की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने अलग राह पकड़ने का ऐलान कर दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की अध्यक्षता में रविवार को हुई लोजपा संसदीय दल की बैठक में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला हुआ। हालांकि पार्टी ने भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन करने का ऐलान किया है।