बिहार: महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर 'छोटे दलों' में संशय
बिहार के विपक्षी महागठबंधन में अब तक सार्वजनिक तौर पर भले ही सीटों के विभाजन का फॉमूर्ला तय नहीं हुआ है, लेकिन अंदरखाने में कहा जा रहा है कि इसके लिए गठबंधन में शामिल दलों के बीच कई दौर की बातचीत हो गई है।
पटना: बिहार के विपक्षी महागठबंधन में अब तक सार्वजनिक तौर पर भले ही सीटों के विभाजन का फॉमूर्ला तय नहीं हुआ है, लेकिन अंदरखाने में कहा जा रहा है कि इसके लिए गठबंधन में शामिल दलों के बीच कई दौर की बातचीत हो गई है। इस बीच हालांकि कांग्रेस ने 243 विधानसभा सीटों में से 80 सीटों पर दावा ठोंक दिया है। इधर, इसे लेकर गठबंधन में शामिल छोटे दल संशय की स्थिति में हैं।
महागठबंधन में शामिल प्रमुख दल कांग्रेस के 80 सीटों पर दावा ठोकने के बाद अन्य छोटे दल सकते में आ गए हैं। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि महागठबंधन इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रमुख घटक राजद और कांग्रेस के बीच 163 और 80 फॉमूर्ला बनाकर सीट बंटवारे के सौदे के करीब पहुंच गए हैं।
फिलहाल बिहार में 243 विधानसभा सीटें में से 81 पर राजद और 27 पर कांग्रेस का कब्जा है। सूत्रों का कहना है कि दोनों दल इस पर भी सहमत हो गए हैं कि राजद अपने 163 सीटों के कोटे से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) सहित महागठबंधन के अन्य दलों को समायोजित करने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को समायोजित करेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी कम से कम 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे कम सीटों पर पार्टी चुनाव मैदान में नहीं जाएगी। उन्होंने अपनी मांग से पार्टी आलाकमान को भी अवगत करा दिया है।
उन्होंने यहां तक कहा, "हमारी 80 सीटों की मांग कोई नई नहीं है। हाल में पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के साथ हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया था। कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर की पार्टी है। पिछले चुनाव में महागठबंधन में जनता दल यूनाइटेड भी सहयोगी था, लेकिन इस बार जदयू महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। ऐसे में उसकी हिस्सेदारी वाली सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी बनती है।"
इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी स्वीकार करते हुए कहते हैं कि सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक बहुत कुछ साफ नहीं है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि हमलोग एक मजबूत गठबंधन चाहते हैं।
इधर, गठबंधन में समन्वय समिति नहीं बनने पर अभी भी नाराजगी बनी हुई है। गठबंधन में शामिल छोटे दल के नेता खुलकर तो कुछ खास नहीं बोलते लेकिन एक नेता ने नाम नहीं प्रकाषित करने की षर्त पर इतना जरूर कहते हैं कि समन्वय समिति बने बिना सीट बंटवारे की बात बेमानी है। हमलोग गठबंधन में षामिल है, किसी खास दल से गठबंधन थोडे हुए है कि खास पार्टी हमें सीट देगी।
बहरहाल, बिहार में समय पर चुनाव होने के आहट के साथ ही पार्टियों में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकसी शुरू हो गई है। अब देखने वाली बात है कि किसके हिस्से में कितनी सीटें आती हैं।