नयी दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में करीब सात लाख मतदाताओं ने अब तक ''नोटा'' (इनमें से कोई नहीं) का विकल्प चुना है। ताजा आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 70,6252 लोगों अथवा 1.7 फीसदी मतदाताओं ने नोटा के विकल्प को चुना है और इन मतदाताओं ने किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान नहीं किया। ईवीएम में वर्ष 2013 में NOTA के विकल्प की शुरुआत की गई थी, जिसका अपना अलग चिह्न है।
आपको बता दें कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 125 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि विपक्षी महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं। इसके साथ की कुमार के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की राह साफ हो गई है। हालांकि इस बार उनकी पार्टी जदयू को 2015 जैसी सफलता नहीं मिली है। जदयू को 2015 में मिली 71 सीटों की तुलना में इस बार 43 सीटें ही मिली हैं। उस समय कुमार ने लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव जीता था। इस बार राजद 75 सीटें अपने नाम करके सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में उभरी है।
मतगणना के शुरुआती घंटों में बढ़त बनाती नजर आ रही भाजपा को 16 घंटे चली मतों की गणना के बाद 74 सीटों के साथ दूसरा स्थान मिला। जदयू को चिराग पासवान की लोजपा के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा है। लोजपा को एक सीट पर जीत मिली, लेकिन उसने कम से कम 30 सीटों पर जदयू को नुकसान पहुंचाया। भाजपा की 74 और जदयू की 43 सीटों के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन साझीदारों में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को चार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार सीटें मिलीं। विपक्षी महागठबंधन में राजद को 75, कांग्रेस को 19, भाकपा माले को 12 और भाकपा एवं माकपा को दो-दो सीटों पर जीत मिली। इस चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें और लोजपा एवं बसपा ने एक-एक सीट जीती है। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहा है।
इनपुट-भाषा