हमारे देश भारत में कई भाषाएं बोली और समझी जाती हैं। लेकिन भारतीय संविधान में सिर्फ 22 भाषाओं को ही मान्यता दी गई है। भारत ऐसे ही न जानें कितने विविधताओं का देश है। जानकारी दे दें कि 2011 के सर्वे के अनुसार भारत में ऐसी 121 भाषाएं बोली और समझी जाती है। ये विविधताएं ही एकता में अनेकता का संदेश देती हैं। लेकिन हिंदी एक ऐसी भाषा है, जो देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। साल 2011 में हुए सर्वे के अनुसार, करीब 43.63 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं। इतनी बड़ी संख्या में बोली जाने वाली भाषा भले ही मातृभाषा न बन पाई हो, लेकिन देश के कई राज्यों को हिंदी एक-दूसरे को जोड़े रखती है। हिंदी भारत सरकार की राजकीय भाषा है। हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं इसका महत्व और इतिहास
विश्व हिंदी दिवस का इतिहास
विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार है। बता दें कि 10 जनवरी 1975 को महाराष्ट्र के नागपुर में पहला हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया था। सम्मेलन में उस दौरान 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसके बाद साल 2006 में प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की।
कब मनाते हैं राष्ट्रीय हिंदी दिवस
14 सितंबर 1946 में संविधान सभा के सभी सदस्यों ने एक मत से देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी भाषा को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी थी। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू संसद में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का ऐलान कर दिया था। बता दें कि 14 सितंबर, 1953 को आधिकारिक रूप से पहली बार राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया गया था।
विदेशों में भी हिंदी
विश्वभर में 60 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि इंग्लिश और मंडारिन (चीनी भाषा) के बाद दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। जानकारी दे दें कि भारत के अलावा विदेशों जैसे मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबैगो और नेपाल में भी हिंदी बोली जाती है।
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