योगी सरकार ने आखिर क्यों मानी यूपी प्राइमरी टीचर्स की बात, इन प्वाइंट्स से समझें
योगी सरकार ने आज यूपी प्राइमरी टीचर्स को राहत देते हुए 2 माह के लिए डिजिटल हाजिरी को स्थगित कर दिया है यानी कि अब 2 माह तक टीचर पहले की तरह अटेंडेंस देंगे।
उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। सरकार ने फैसला किया कि 2 महीनों तक डिजिटल अटेंडेंस को पोस्टपोन किया जाए जिससे शिक्षकों की परेशानी समझी जा सके। सरकार की ओर से यह फैसला मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शिक्षक संघ के साथ मुलाकात के बाद लिया है। मुख्य सचिव ने शिक्षकों को भरोसा देते हुए कहा कि इस मामले में एक कमेटी बनाकर समस्या का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य की शिक्षा में ट्रांसफॉर्मेशन होने चाहिए लेकिन सभी को साथ लेकर, इसीलिए इस सिस्टम को 2 माह के लिए स्थगित किया जाता है।
डिजिटल अटेंडेंस का क्या है समय?
गौरतलब है कि 8 जुलाई को बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राइमरी टीचर्स के लिए डिजिटल अटेंडेंस (डिजिटल हाजिरी) सिस्टम लागू किया। इसके मुताबिक, टीचर्स को 1 अप्रैल से 30 सितंबर की तारीख तक सुबह 7:45 से 8 बजे तक स्कूल आने पर और दोपहर 2:15 से 2:30 छुट्टी होने पर डिजिटल अटेंडेंस लगानी होगी। वहीं, सर्दियों में 1 अक्टूबर से सरकारी स्कूल का टाइम चेंज हो जाएगा और तब सुबह 8:45 से 9 बजे तक और दोपहर 3:15 से 3:30 तक स्कूल बंद होने पर डिजिटल हाज़िरी लगानी पड़ेगी। जिस टीचर की हाज़िरी इन समयों पर नहीं लगेगी तो उस टीचर एब्सेंट मान लिया जाएगा। इसके बाद मामला का विरोध शुरू हुआ, टीचर्स ने काली पट्टी बांधकर इसका विरोध किया। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने विरोध को देखते हुए सुबह 7:45 से 8 बजे वाले समय में आधे घंटे की छूट दी थी।
जब शिक्षकों को लगा कि धरने का बाद भी सरकार से कोई राहत नहीं मिल रही तो उन्होंने सामूहिक रूप से रिजाइन देने का ऐलान कर दिया। इसी के चलते रामपुर के 375 शिक्षकों ने अपने इस्तीफा का ऐलान कर दिया।
शिक्षकों ने गिनाए ये कारण
शिक्षकों ने इसे न अपनाने के अपने कारण भी बताए। शिक्षकों ने कहा कि बारिश के मौसम में कई स्कूल डूब जाते हैं, जिससे स्कूल पहुंचने में दिक्कत होती है। वहीं, आगे कहा कि सिर्फ एक समय हाजिरी ली जाए, जाते समय की हाजिरी गलत तरीका है। कई स्कूलों में नेटवर्क की दिक्कत हैं, वहीं, ऐप पर लोकेशन भी गलत बता रहा है। आगे कहा कि आधे दिन की भी हाजिरी की व्यवस्था हो। साथ ही कई स्कूलों में जाने के लिए सड़क नहीं है, करीब 30 फीसदी स्कूल में जाने की सड़क ठीक है और 60 फीसदी स्कूल में जाने के लिए सरकारी ट्रांसपोर्ट नहीं है। इसकी वजह से कई बार टीचर देर से स्कूल पहुंचते हैं।
योगी सरकार ने क्यों मानी बात? यहां समझें
6 लाख वोट बैंक का डर
राज्य में 1.33 लाख प्राइमरी स्कूल हैं और उनमें करीबन 6.09 लाख प्राइमरी टीचर हैं। हाल में लोकसभा चुनाव में 37 सीटें सपा के हिस्से में चली गई। इसका बड़ा कारण था लोगों की सरकार के प्रति नाराजगी। जिसे अब बीजेपी सरकार दोहराने के मूड में नहीं हैं। 2027 के विधानसभा चुनाव में सरकार सभी लोगों का दिल जीतकर दोबारा सरकार बनाने का सपना देख रही है। ऐसे में 6.09 लाख प्राइमरी टीचर को वह नाराज कर अपना वोट बैंक गंवाना नहीं चाहती। यही कारण है कि सीएम योगी ने खुद इस मामले में हस्तक्षेप कर सभी डीएम को आदेश दिया है कि मामले पर एक कमेटी बनाकर समस्या का निस्तारण किया जाए।
विधायक व मंत्री ने भी दिया शिक्षकों का साथ
इस मुद्दे ने इतना तूल पकड़ा कि बीजेपी के कई सांसदों और विधायकों ने डिजिटल अटेंडेंस को स्थगित करने के लिए सरकार को पत्र लिखा। बरेली सांसद छत्रपाल गंगवार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में कहा- शिक्षकों की गरिमा और विश्वसनीयता को ध्यान में रखते हुए डिजिटल अटेंडेंस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।
वहीं, विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने योगी को पत्र लिखा जिसमें उन्होने कहा था कि शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अलावा 30 कार्य ऑफलाइन लिए जाते हैं, लेकिन हाजिरी ऑनलाइन क्यों? डिजिटल हाजिरी अन्य विभागों में क्यों नहीं लागू हुई? आखिर दिन-ब-दिन सरकार की छवि क्यों खराब हो रही है? आगे कहा था कि 2027 के चुनावों में सफल होने के लिए हमारी सरकार को इस डिजिटल अटेंडेंस को वापस लेना होगा।
विपक्ष ने भी उठाया था मुद्दा
इस मुद्दे पर विपक्ष ने भी सरकार को घेरा था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार से कहा कि बिना तैयारी शिक्षकों पर ऑनलाइन अटेंडेंस को थोपा जाना ठीक नहीं। परिषदीय स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की बहुत कमी है। शिक्षकों के भी बड़ी संख्या में पद खाली हैं। ऐसे में पहले शिक्षकों के खाली पद भरे जाएं और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि अच्छी गुणवत्ता की पढ़ाई सुनिश्चित हो सके।
वहीं, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा, 'शिक्षकों और बच्चों के अभिभावकों को जितनी जल्दी ये बात समझ आ जाएगी कि बीजेपी सरकार शिक्षक और शिक्षा के खिलाफ है और इनकी वजह से परिवारवालों के बच्चों का भविष्य अंधकारमय है, उतनी ही जल्दी परिवर्तन के लिए जमीन बननी तैयार हो जाएगी।
साथ कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा राज्य के शिक्षक ऑनलाइन अटेंडेंस का विरोध कर रहे हैं। उनके तर्क जायज हैं कि ज्यादातर स्कूल दूर ग्रामीण इलाकों में हैं। इनकी दिक्कतों का ध्यान नहीं रखा गया। उन्होंने पूछा कि क्या ऑनलाइन अटेंडेंस से ही स्कूली शिक्षा की समस्याएं खत्म हो जाएंगी?
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