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Hindi News एजुकेशन कब से मनाया जाता है अल्पसंख्यक अधिकार दिवस? जानें कौन-कौन हैं देश में Minority

कब से मनाया जाता है अल्पसंख्यक अधिकार दिवस? जानें कौन-कौन हैं देश में Minority

Minority डे भारत में आज मनाया जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि यह दिन कब और क्यों मनाया जा रहा है। साथ ही इस देश में किसे किसे Minority का दर्जा दिया गया है।

Minorities Rights Day- India TV Hindi Image Source : SOCIAL MEDIA अल्पसंख्यक अधिकार दिवस

देश में हर साल अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (Minorities Rights Day) 18 दिसंबर को मनाया जाता है। यह अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दोहराता है। यह दिन देश के भीतर धार्मिक, जातीय, नस्लीय और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण के महत्व पर जोर देने के लिए मनाया जाता है। देश में साल 2013 में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जा है।

कब से मनाया जा रहा?

2013 में, भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस घोषित किया गया था, देश द्वारा राष्ट्रीय या जातीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा का समर्थन करने के बाद, जिसे 18 दिसंबर, 1992 को अपनाया गया था। घोषणा में राज्यों से अल्पसंख्यक समूहों की पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने का आह्वान किया गया है।

नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी (एनसीएम) की आधिकारिक स्थापना 1992 में नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एक्ट के तहत की गई थी। इसका काम मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक समुदायों के संवैधानिक अधिकारों के क्रियान्वयन की निगरानी करना है, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी शामिल हैं। जैन को 2014 में इस सूची में जोड़ा गया।

संविधान में दिया गया है अधिकार

  • भारत में विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों, विशेष रूप से अनुच्छेद 29 और 30 के तहत अल्पसंख्यकों के अधिकारों की गारंटी दी गई है।
  • ये अनुच्छेद अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा, संस्कृति और धर्म या भाषा के आधार पर भेदभाव से मुक्ति के अधिकार सुनिश्चित करते हैं।
  • एनसीएम इन अधिकारों को लागू करने के लिए सक्रिय रूप से काम करता है और अल्पसंख्यक समुदायों की शिकायतों का समाधान करता है।

एनसीएम भारत में इन समाज को अल्पसंख्यकों के रूप में मान्यता देता है:

  • मुस्लिम
  • ईसाई
  • सिख
  • बौद्ध
  • पारसी
  • जैन

अल्पसंख्यक अधिकार दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका

  • जागरूकता बढ़ाना: यह अल्पसंख्यकों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालता है और विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच समझ को बढ़ावा देता है।
  • समावेशिता को बढ़ावा देना: यह दिन भारतीय समाज में सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार करने को प्रोत्साहित करता है।
  • समानता की वकालत: यह सभी समुदायों के लिए समान अधिकारों और सामाजिक न्याय की वकालत करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
  • प्रगति पर चिंतन: यह उत्सव अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा में हुई प्रगति पर चिंतन करने का अवसर प्रदान करता है, साथ ही उन क्षेत्रों की पहचान भी करता है जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

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