Digital University: क्या है डिजिटल यूनिवर्सिटी, कैसे होगी इसमें पढ़ाई
Digital University: हर साल की तरह इस साल भी देश का बजट पेश हुआ। इस दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण में देश के बच्चों के लिए एक खास एलान किया। जिसमे उन्होंने बच्चों की उच्च शिक्षा को ध्यान में रखते हुए एक डिजिटल यूनिवर्सिटी का ज़िक्र किया।
Digital University: हर साल देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करती है। इस साल संसद में 2022-23 का बजट पेश करने के दौरान उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा एलान किया था। उन्होने कहा था कि सरकार जल्द ही ‘डिजिटल यूनिवर्सिटी’ की स्थापना करेगी। यह फैसला कोरोना महामारी के कारण शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने की वजह से लिया गया है। क्योंकि उस दौरान कई बच्चों को अपनी पढ़ाई में बहुत दिक्कतों का सामना किया था। वित्तमंत्री ने बताया की ये यूनिवर्सिटी देशभर में स्टूडेंट्स को उनकी रीजनल भाषा में विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाली अच्छी शिक्षा उनके दरवाजे तक पहुंचाने में मददगार रहेगी।
क्या है डिजिटल यूनिवर्सिटी
डिजिटल यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को एक तरह से डिजिटल तरीके से पढ़ाई करने के लिए सक्षम बनाएगी। इसमें फिजिकल यानी ऑफलाइन क्लासेज़ की जगह बच्चे वर्चुअल यानी ऑनलाइन क्लासेज़ ले पाएंगे। वित्त मंत्री ने यह भी बताया था कि यूनिवर्सिटी को ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल पर बनाने की योजना है। इसको इस यूनिवर्सिटी को कुछ तरह डिज़ाइन किया जाएगा, जिससे किसी भी स्टूडेंट को पढ़ाई करने में किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े। इसके ज़रिये कोशिश की जायेगी की हर स्टूडेंट इससे शिक्षा हासिल कर पाए।
ये है इसका फायदा
इस डिजिटल यूनिवर्सिटी में सिलेबस कई तरह की भारतीय भाषाओं और ICT के रूप में स्टूडेंट्स को उपलब्ध करवाए जाएंगे। इससे सभी राज्य कक्षा 1 से 12 तक क्षेत्रीय भाषाओं में अच्छी पढ़ाई उपलब्ध करा पाएंगे। बता दें, देश की ये सर्वश्रेष्ठ प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक हब और स्पोक नेटवर्क की मदद से मिलकर काम करेंगी। इससे स्टूडेंट्स हर चीज़ पढ़ तो पाएंगे ही, लेकिन इसके साथ इससे अपनी लोकल भाषा में हर चीज़ को अच्छे से समझने में भी उनको आसानी होगी। इसके ज़रिये बच्चों को पढ़ाने का तरीका भी आसान बनाया जाएगा। हर बच्चे को उनकी स्थानीय भाषा में कोर्स उपलभ्द करवाए जाएंगे।
इसके निर्माण की वजह
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, देश में बच्चे कोरोना महामारी की वजह से कई समय तक पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जा पाए। उस समय सभी स्कूल बंद होने की वजह से खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और बाकी के कमजोर वर्गों से जुड़े स्टूडेंट्स ने लगभग अपनी 2 सालों की शिक्षा खो दी है। इनमे से ज़्यादातर बच्चे सरकारी स्कूलों से थे, जिनकी शिक्षा की भरपाई के लिए इस डिजिटल एजुकेशन को तैयार करने का फैसला लिया गया है। सरकार की ये कोशिश रहेगी की इस योजना से ज़्यादा से को फायदा पहुंचे।