What is difference between train coach and bogie: देश में लाखों लोग रोजाना ट्रेन से सफर करते हैं। इसीलिए इंडियन रेलवे को भारत की लाइफाइन कहा जाता है। देश में मौजूद विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर लोग ट्रेन की टाइमिंग से पहले ही पहुंच जाते हैं। स्टेशन पर पहुंचकर लोग अक्सर वहीं खड़े हो जाते हैं जहां उनका रिजर्वेशन वाला कोच रुकता है। कोच के अलावा आपने एक टर्म 'बोगी' भी सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रेल में बोगी और कोच एक ही हैं या अलग-अलग? अगर अलग हैं तो इनमें क्या अंतर है? अगर नहीं, तो कोई अचंभित होने वाली बात नहीं है। रेलवे की बहुत सी ऐसी बाते हैं, जिनके बारे में ज्यादातर लोगों को बेहद कम जानकारी है। लेकिन आज हम आपको इस खबर के जरिए रेल के कोच और बोगी में अंतर बताएंगे।
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इसे कहते हैं कोच?
कई लोग कोच को ही बोगी कहते हैं, लेकिन ये गलत है। कोच और बोगी दोनों अलग-अलग चीजें हैं। रेल के जिस डिब्बे में बैठकर यात्रा की जाती है उसे कोच कहते हैं। ये स्लीपर, एसी टियर 3, एसी टियर 2, एसी टियर 1, चेयरकार, और जनरल होते हैं। लेकिन कई लोगों को कोच और बोगी एक ही चीज लगते हैं जो कि गलत जानकारी है।
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इस कहते हैं बोगी?
सबसे पहले आपके ये बता दें कि बोगी में बैठकर सवारी नहीं की जा सकती है। बोगी रेलवे कोच का ही एक पार्ट है, जिस पर कोच होता है। ट्रेन के जो पहिए आपको दिखाई देते हैं वो एक बोगी से जुड़े होते हैं। चार से छह पहियों को एक्सल जोड़कर एक बोगी बनाई जाती है, जिस पर एक पूरी कोच टिका होता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि एक कोच में दो बोगियां होती हैं।
इसके अलावा आपको ये भी बता दें कि चलती रेल को रोकने के लिए बोगी में ही ब्रेक्स लगे होते हैं। रेल के हर पहिए में ब्रेक लगाए जाते हैं, जिससे कि पूरी ट्रेन को एक साथ रोका जा सके जिसमे कोई प्रॉबलम न हो।
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