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Hindi News एजुकेशन शिक्षा मंत्रालय ने वर्चुअल ओपन स्कूल की शुरूआत की, प्रधान ने कहा- समावेशी शिक्षा में मिलेगी मदद

शिक्षा मंत्रालय ने वर्चुअल ओपन स्कूल की शुरूआत की, प्रधान ने कहा- समावेशी शिक्षा में मिलेगी मदद

केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि देश में आज भी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो सामाजिक एवं आर्थिक कारणों से पारंपरिक तरीके से स्कूली शिक्षा हासिल नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘स्कूली शिक्षा विभाग ऐसे ही बच्चों के लिये डिजिटल या वर्चुअल स्कूल के रूप में नया मंच लाया है।’’

Dharmendra Pradhan, Education Minister- India TV Hindi Image Source : WIKIPEDIA Dharmendra Pradhan, Education Minister

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि स्कूली शिक्षा विभाग बच्चों के पठन पाठन को सुगम बनाने के लिये डिजिटल या वर्चुअल स्कूल के रूप में नया मंच लाया है जिससे प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का उपयोग करते हुए देश के सुदूर क्षेत्रों तक समावेशी शिक्षा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने नेशनल स्कूल आफ ओपन स्कूलिंग (एनओआईएस) के डिजिटल या वर्चुअल स्कूल की शुरूआत करते हुए यह बात कही। प्रधान ने कहा कि जब बच्चे एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं, मोबाइल से प्री-पेड बिल भर सकते हैं, डिजिटल भुगतान कर सकते हैं, तब वे वर्चुअल माध्यम से शिक्षा भी प्राप्त कर सकते हैं।

मंत्री ने कहा कि देश में आज भी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो सामाजिक एवं आर्थिक कारणों से पारंपरिक तरीके से स्कूली शिक्षा हासिल नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘स्कूली शिक्षा विभाग ऐसे ही बच्चों के लिये डिजिटल या वर्चुअल स्कूल के रूप में नया मंच लाया है।’’ मंत्री ने कहा कि अब खुला (ओपन) स्कूल से भी आनलाइन शिक्षा मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि जो बच्चे आर्थिक एवं सामाजिक कारणों से स्कूल नहीं जा पाते, ऐसे सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को यह समर्पित है। उन्होंने कहा कि इन सभी प्रयासों से स्कूलों में उपस्थित होकर पढ़ाई करने और डिजिटल माध्यम से शिक्षा को जोड़ते हुए ‘मिश्रित शिक्षा’ पर जोर दिया जायेगा।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के एक वर्ष पूरा होने पर स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा तैयार पुस्तिका के अलावा निपुण भारत मिशन, वर्चुअल लाइव क्लासरूम और वर्चुअल लैब के माध्यम से एक उन्नत डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म प्रदान करने संबंधी एनआईओएस के वर्चुअल स्कूल कार्यक्रम और एनसीईआरटी के वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर को भी जारी किया। इसके अलावा दिव्यांग बच्चों के लिए एनसीईआरटी द्वारा विकसित कॉमिक बुक ‘‘प्रिया-सुगम्यता योद्धा’ का भी विमोचन किया।

इस कार्यक्रम में डिजिटल माध्यम से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने भी हिस्सा लिया । प्रधान ने कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले डेढ़ वर्षो में कैसे पढ़ाई हुई, इसका हम सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं, कक्षाएं बंद रहीं और डिजिटल माध्यम से शिक्षा प्रदान किये गए । उन्होंने कहा, ‘‘डिजिटल शिक्षा, कक्षा में उपस्थित होकर पढ़ाई करने का विकल्प नहीं बन सकती है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम उसे (डिजिटल शिक्षा) छोड़ दें।’’ उन्होंने कहा कि सरकार का दो साल में हर स्कूल में इंटरनेट पहुंचाने का लक्ष्य है और इस दिशा में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से भी बात हुई है।

प्रधान ने कहा कि जब स्कूलों में बिजली, पानी, इंटरनेट समेत तमाम सुविधाएं उपलब्ध होंगी तब डिजिटलीकरण बढ़ेगा और छात्रों को वैश्विक स्तर पर तैयार करने में मदद मिलेगी। मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद किसी भी सरकार ने कोई नीति तैयार की हो, उसका उद्देश्य गलत नहीं होता है, चुनौती इसके क्रियान्वयन को लेकर रहती है, कई चीजे कल्पना में ही रह जाती हैं। इस बात पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति उपलब्धियों का आंकड़ा प्राप्त करने का मसौदा नहीं है बल्कि 21वीं सदी में भारत के नेतृत्व में विश्व कल्याण हो, ऐसा मसौदा है। इसमें ज्ञान के माध्यम से चरित्र निर्माण और चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना है जो सदियों से भारत की परंपरा रही है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि 3-9 वर्ष के 7.5 करोड़ छात्रों को पढ़ने, लिखने और अंकगणित में निपुण बनाने के लिए ई संसाधन हों या शिक्षक और शिक्षार्थी की दूरी को कम करने तथा छात्रों का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने कि दिशा में शुरू हुए डिजिटल स्कूल हो, यह सब मोदी सरकार की शिक्षा की ओर प्रतिबद्धता को प्रकट करता है।

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