लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी ने सिद्धार्थ नगर स्थित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है। द्विवेदी ने बुधवार को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कुलपति डॉ. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है।
इस्तीफे को इस मुद्दे पर हंगामे को शांत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।गौरतलब है कि अरुण द्विवेदी की सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद छिड़ गया था।
अरुण को ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटे से मनोविज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, साइकोलॉजी विषय के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के दो पद थे। डॉ. हरेंद्र शर्मा को ओबीसी कोटे से, डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी को ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य उम्मीदवार) श्रेणी में नियुक्त किया गया है।
दिलचस्प बात यह है कि कुलपति सुरेंद्र दुबे का कार्यकाल 21 मई को समाप्त हो रहा था, लेकिन सरकार ने एक दिन पहले 20 मई को उनका कार्यकाल नियमित कुलपति की नियुक्ति तक बढ़ा दिया है। डॉ. अरुण द्विवेदी को पिछले सप्ताह सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार द्वारा नियुक्ति पत्र दिया गया था। कुलपति डॉ. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि उन्हें लगभग 150 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 10 को मेरिट के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया गया था।
कुलपति ने संवाददाताओं से कहा, दस उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था और अरुण द्विवेदी दूसरे स्थान पर थे। हमें मंत्री के साथ उनके संबंधों के बारे में जानकारी नहीं थी। उत्तर प्रदेश के मंत्री सतीश द्विवेदी ने अपने भाई की नियुक्ति के लिए किसी भी तरह के प्रभाव से इनकार किया है और कहा कि उनका भाई स्वतंत्र रूप से रहता है।
इस बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया था कि हजारों शिक्षक अपनी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं और राज्य के शिक्षा मंत्री ने आपदा में अवसर को भुनाया है और अपने भाई के लिए एक नौकरी का इंतजाम किया है।उन्होंने इस घटना को समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के साथ मजाक करार दिया। प्रियंका ने यह भी पूछा कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मामले का संज्ञान लेंगे और कार्रवाई करेंगे।
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