योगी आदित्यनाथ सरकार ने 24 साल बाद संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों की छात्रवृत्ति में बढ़ोतरी की है। बता दें कि पिछली बार छात्रवृत्ति में संशोधन 2001 में हुआ था। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक में प्रदेश की प्रगति और जनकल्याण के लिए कई अहम फैसले लिए गए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य भर में 500 से अधिक संस्कृत विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी छात्रों को छात्रवृत्ति देने का भी फैसला किया है। इस नए फैसले से छात्रवृत्ति पाने के लिए छात्रों की पारिवारिक आय 50,000 रुपये सालाना से कम होने की शर्त खत्म हो गई है।
बैठक के बाद माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा, "चूंकि संस्कृत शिक्षा प्राप्त करने वाले अधिकांश बच्चे गरीब तबके से हैं, इसलिए अब संस्कृत शिक्षा के तहत प्रथमा यानी कक्षा 6, 7 और 8 के छात्रों को छात्रवृत्ति देने का प्रावधान किया गया है।" उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में 517 संस्कृत विद्यालय हैं, जिनमें 1,21,573 छात्र पढ़ रहे हैं।
24 साल बाद बढ़ाई गई छात्रवृत्ति
- कक्षा 6 और 7 (प्रथम) के लिए 50 रुपये प्रति माह
- कक्षा 8 के लिए 75 रुपये प्रति माह
- कक्षा 9 और 10 (पूर्व मध्यमा) के लिए 100 रुपये प्रति माह
- कक्षा 11 और 12 (उत्तर मध्यमा) के लिए 150 रुपये प्रति माह
- शास्त्री के लिए 200 रुपये प्रति माह
- आचार्य के लिए 250 रुपये प्रति माह
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज यूपी कैबिनेट की बैठक में 14 प्रस्ताव पेश किए गए और 13 को मंजूरी दी गई। इनमें जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप पेयजल आपूर्ति योजनाओं के संचालन के लिए रखरखाव नीति 2024 को कैबिनेट ने मंजूरी दी। इस नीति का उद्देश्य उन गांवों के रखरखाव का प्रबंधन करना है जहां जलापूर्ति का काम पूरा हो चुका है।
ये भी पढ़ें- आखिर कितने पढ़े लिखे हैं बिहार के CM नीतीश कुमार?
RG Kar Medical college में MBBS की कितनी सीटें हैं?
Latest Education News