UGC ने सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को जारी किया जरूरी नोटिस, कहा- 'मत करें इन्हें प्रमोट'
यूजीसी ने देश की सभी यूनिवर्सिटीज को एक नोटिस जारी कर आग्रह किया है कि वह अपने कैंटीन में अनहेल्दी खाने को न बेंचे।
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने देश की सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के लिए एक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में यूजीसी ने हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन से आग्रह किया है कि वे मोटापे, शुगर और गैर-संचारी रोगों (non-communicable diseases) को बढ़ने रोकने के लिए परिसर में अनहेल्दी खाने की चीजों की बिक्री पर रोक लगाएं और कैंटीनों में हेल्दी खाने को बढ़ावा दें।
रिपोर्ट में आया था चौंकाने वाला खुलासा
बता दें कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की 2020-2023 की रिपोर्ट के चौंकाने वाले आंकड़ों का हवाला देते हुए, जिसमें बताया गया है कि भारत में 4 में से 1 व्यक्ति या तो मोटापे से ग्रस्त है या शुगर, प्री-डायबिटिक है, इसी को लेकर यूजीसी ने देश के सभी यूनिवर्सिटीज को नोटिस भेजा है। इसे लेकर, नेशनल एडवोकेसी इन पब्लिक इंटरेस्ट (NAPI) ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में अनहेल्दी खाने की चीजों की बिक्री पर बैन लगाने और कैंटीनों में हेल्दी खाने के विकल्पों को बढ़ावा देने का अनुरोध किया है।
हेल्दी खाने को बढ़ावा देना
यूजीसी ने अपने आधिकारिक नोटिस में कहा है, "बढ़ते मोटापे, शुगर और अन्य गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से चिंतित, सामान्य एनसीडी (2017-2022) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए नेशनल मल्टी-सेक्टरल प्लान ऑफ एक्शन (NMAP) के तुरंत काम के लिए, एनएपीआई ने एकेडमिक इस्टिट्यूशन में अनहेल्दी खाने की चीजों की बिक्री पर रोक लगाने और कैंटीन में हेल्दी खाने को बढ़ावा देने का अनुरोध किया है।"
रोक लगाने के लिए बनाएं सख्त नियम
जानकारी के लिए बता दें कि नवंबर 2016 और अगस्त 2018 की अपनी पिछली सलाहों पर जोर देते हुए, यूजीसी ने सभी संस्थानों से परिसर में अनहेल्दी खाने की चीजों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम लागू करने को कहा है। अपनी पिछली सलाहों में, यूजीसी ने छात्रों के हेल्थ को बढ़ावा देने और अनहेल्दी चीजों के सेवन से निपटने के लिए यूनिवर्सिटीज के लिए कई उपायों की रूपरेखा तैयार की। यूनिवर्सिटीज को जंक फूड के बुरे प्रभावों और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और वेस्ट-हिप अनुपात (waist-hip ratio) जैसे के बारे में छात्रों को जागरूक करने का निर्देश दिया गया ताकि स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।
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