नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति को सभी प्रकार से क्रांतिकारी बताया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति, प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा को बढ़ावा देने और माध्यमिक स्तर पर छात्रों के लिए व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने जैसे कई पहलुओं पर केंद्रित है। नई शिक्षा नीति को सही तरीके से लागू करने के लिए सरकार शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिलाएगी।
दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अखंड कांफ्रेंस 'एडुकॉन 2020' को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा, "हमें अपने छात्रों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है।"
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, "21वीं सदी को पूरे विश्व में ज्ञान की सदी के रूप में जाना जाता है। सतत विकास लक्ष्यों की सूची के लक्ष्य चार के अंतर्गत समावेशी शिक्षा प्रणाली के महžव की ओर इशारा करता पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा एवं ग्लोबल एजुकेशनल रिसर्च एसोसिएशन का अखंड अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन का यह प्रयास सराहनीय है। निश्चित तौर पर यह सम्मलेन हमें इस बात का बोध कराता है कि किसी भी समस्या के निराकरण के लिए उच्च शिक्षा का विशेष महत्व है।"
निशंक ने सभी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए कहा कि यह नीति ज्ञानार्जन अवसरों के लिए उच्च शिक्षा में अंतरविषयी अध्ययन और एकीकृत पाठ्यक्रम पर जोर देती है। इसका उद्देश्य मूल्य-आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक स्वभाव का विकास करना और साथ ही भारत के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है।
उन्होंने आगे कहा कि यह नीति शिक्षण प्रक्रिया में तकनीकी के और अधिक उपयोग के लिए रूपरेखा तैयार करने, ऑनलाइन पाठ्यक्रम सामग्री के विकास, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरुआत और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना सरीखे नवीन सुधारों पर जोर देती है, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में भारतीय विद्वानों को लाभान्वित करेगी।
निशंक ने इस अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के लिए उपयुक्त और प्रासंगिक विषय चुनने के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब के कुलपति प्रोफेसर राघवेंद्र प्रसाद तिवारी को बधाई दी।
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