रैगिंग से हो चुके हैं परेशान! यहां जानें इससे निपटने के तरीके और उपाय
अगर आपके साथ कोई रैगिंग या आपको कोई परेशान कर रहा तो आप सीधे कॉल या ईमेल के जरिए एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन से संपर्क कर सकते हैं। आप एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन 1800-180-5522 पर डायल कर जानकारी दे सकते हैं या आपात स्थिति में +91 9818044577 पर कॉल कर सकते हैं।
देश के हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस, कॉलेज और यूनिवर्सिटी कैंपसों में सीनियर और फ्रेशर या जूनियर स्टूडेंट्स के बीच ‘रैगिंग’एक आम बात बन चुकी है। देश के प्रतिष्ठित कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ और जाने-माने मेडिकल कॉलेजों की हिस्ट्री देखें तो पता चलता है कि यहां आए दिन जूनियर्स स्टूडेंट्स को रैगिंग जैसी घटनाओं से जुझना पड़ता है। यहां तक कि कुछ मामलों में विक्टिम स्टूडेंट्स डर, निराशा, दुःख और अपमान की वजह से सुसाइड तक कर लेते हैं।
अभी हाल ही में वेल्लोर और हैदराबाद में रैगिंग की घटनाओं में देखने को मिला कि जूनियर छात्रों को उनके सीनियर्स द्वारा मारपीट किया गया। इन सभी के बाद फ्रेशर्स को अपने साथ होने वाली ऐसी किसी भी अप्रिय घटना के प्रति चिंतित होना स्वाभाविक है, इसीलिए हम यहाँ आपको बताने जा रहे हैं कि अगर आपके साथ ऐसी स्थिति होती है तो, आप क्या कर सकते हैं?
अगर आप अपने यूनिवर्सिटी या कॉलेजों में रैगिंग संबंधी किसी समस्या का सामना करते हैं तो आप नीचे दी गई जानकारी को अपनाकर अपना बचाव या उन्हें पनिशमेंट दिला सकते हैं-
1- नेशनल एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन संकट में छात्रों के लिए 24×7 टोल फ्री हेल्पलाइन है। छात्र 1800-180-5522 पर कॉल कर सकते हैं
2- छात्र एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर ईमेल helpline@antiragging.in पर मेल भी कर सकते हैं
3- आपात स्थिति के मामलों में, छात्र सेंटर फॉर यूथ (यूजीसी निगरानी एजेंसी) से उसके मोबाइल नंबर +91 98180 44577 पर संपर्क कर सकते हैं।
4- रैगिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए छात्र यूजीसी की वेबसाइट - ugc.ac.in और antiragging.in पर भी जा सकते हैं।
चलिए जानते हैं कि 'रैगिंग' क्या है?
1- अगर आपके साथ किसी छात्र या छात्रों के समूह द्वारा किया गया कोई भी ऐसा आचरण जिसमें बोले गए, लिखे गए या किसी कृत्य का प्रभाव किसी के साथ छेड़खानी, व्यवहार या किसी के साथ व्यवहार किया गया हो।
2- एक छात्र या छात्रों का समूह उपद्रवी या अनुशासनहीनता की गतिविधियों में शामिल होता है जिससे झुंझलाहट, कठिनाई, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान होता हो, अन्य छात्रों में भय या आशंका पैदा करता हो।
3- किसी भी छात्र को ऐसा कार्य करने के लिए कहना जो शर्म, पीड़ा या शर्मिंदगी की भावना पैदा करता है, छात्र के शरीर या मन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता हो।
4- सीनियर छात्र द्वारा कोई भी कार्य जो किसी भी छात्र की नियमित पढ़ाई में रोक-टोक या परेशान करता हो।
5- सौंपे गए शैक्षणिक कार्यों को पूरा करने के लिए एक छात्र का शोषण करना हो।
6- छात्रों द्वारा अन्य छात्रों पर डाले गए जबरन वसूली या जबरन खर्च का कोई भी कार्य हो।
7- शारीरिक शोषण का कोई भी कार्य जैसे- यौन शोषण, समलैंगिक हमले, निर्वस्त्र करना, अश्लील और भद्दी हरकतें करना, इशारे करना, या किसी भी तरह का शारीरिक नुकसान पहुंचाना या स्वास्थ्य या व्यक्ति को कोई अन्य खतरा हो।
8- बोले गए शब्दों, ईमेल, पोस्ट, या सार्वजनिक अपमान द्वारा दुर्व्यवहार का कोई भी कार्य जिसमें किसी छात्र को असुविधा हो।
9 - कोई भी ऐसा कार्य जो किसी भी छात्र के मानसिक स्थिति और आत्मविश्वास को प्रभावित करता हो।
दोषी छात्रों के साथ क्या होता है?
रैगिंग की घटनाओं के खिलाफ एक संस्था के प्रमुख द्वारा कई कार्रवाई की जा सकती है। सबसे पहले, उन्हें यह निर्धारित करना चाहिए कि मामला दंड कानूनों के अंतर्गत आता है या नहीं। यदि ऐसा होता है, तो हेड को स्वयं या रैगिंग विरोधी समिति के किसी सदस्य के माध्यम से रसीद प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर पुलिस या स्थानीय अधिकारियों के पास प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए। इसके लिए 15 पेनल प्रोविजिन हैं जिनके तहत मामला दायर किया जा सकता है।
कैंपस में रैगिंग की घटनाएं सामने आने पर कॉलेजों का क्या होगा?
रैगिंग की कोई भी घटना NAAC या किसी अन्य अधिकृत मान्यता एजेंसी द्वारा संस्थान की मान्यता, रैंकिंग या ग्रेडिंग पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
ऐसे मामलों में UGC की जिम्मेदारियां
ऐसे केसों में UGC को कुछ जिम्मेदारियां निभानी होती हैं जैसे कि किसी संस्थान के हेड, हॉस्टल के वार्डन और संबद्ध यूनिविर्सिटी के नोडल अधिकारी, और यदि आवश्यक हो तो संबंधित जिला अधिकारियों को डिस्टेरेस कॉल (distress call) मिलते ही सूचित करना। हलफनामा (Affidavits) बनाने के लिए आयोग एक उपयुक्त डेटाबेस बनाए रखेगा, इसे छात्रों और उनके माता-पिता द्वारा पुष्टि की जानी चाहिए और इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से इकट्ठा किया जाना चाहिए, और जनता में विश्वास पैदा करने के लिए, केंद्र द्वारा नामित गैर-सरकारी एजेंसी को डेटाबेस उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
बता दें कि यूजीसी द्वारा सभी संस्थानों को प्रवेश पत्र में एंटी रैगिंग अंडरटेकिंग रेफरेंस नंबर से संबंधित एक अनिवार्य कॉलम जोड़ने के लिए कहा गया है। साथ ही उन्हें antiragging.in पर ऑनलाइन कंप्लायंस भरना होगा।
यूजीसी ने संस्थानों से कहा है कि वे हर छात्र और माता-पिता के लिए एंटीरैगिंग डॉट इन पर एक अंडरटेकिंग जमा करना अनिवार्य करें। छात्रों के लिए ऑनलाइन रैगिंग विरोधी एफिडेविट दायर करने की संशोधित प्रक्रिया संस्थानों द्वारा लागू की जानी है। पंजीकरण संख्या के साथ एक ईमेल छात्र को भेजा जाएगा, जो बदले में उस ईमेल को अपने यूनिविर्सिटी में नोडल कार्यालय को भेजेगा।